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विवादों के बीच दिलजीत दोसांझ की 'पंजाब 95' की रिलीज फिर टली

यह फिल्म पहले 2022 में रिलीज होने वाली थी मगर इसे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। अब 7 फरवरी, 2025 के लिए निर्धारित इसकी बिना सेंसर वाली अंतर्राष्ट्रीय रिलीज को स्थगित करना पड़ा है।

इससे भारतीय सिनेमा में सेंसरशिप को लेकर नई बहस छिड़ गई है। / IMdb

मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर आधारित भारतीय गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'पंजाब 95' की रिलीज एक बार फिर टल गई है। इससे भारतीय सिनेमा में सेंसरशिप को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

यह फिल्म पहले 2022 में रिलीज होने वाली थी मगर इसे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। अब 7 फरवरी, 2025 के लिए निर्धारित इसकी बिना सेंसर वाली अंतर्राष्ट्रीय रिलीज को स्थगित करना पड़ा है। दोसांझ ने देरी पर खेद व्यक्त करते हुए इस खबर को साझा करने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया। 

दोसांझ ने कहा कि हमें बहुत खेद है और आपको यह बताते हुए दुख हो रहा है कि फिल्म पंजाब 95 फरवरी में रिलीज नहीं होगी। हालात कुछ ऐसे हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। दोसांझ ने एक मार्मिक उद्धरण के साथ खलरा की एक तस्वीर भी साझा की: मैं गुरु से प्रार्थना करता हूं, जो सत्य की पहचान करते हैं, इस प्रकाश को प्रज्ज्वलित रखने के लिए।

सेंसरशिप विवाद
वर्ष 2022 में भारतीय केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने फिल्म में 120 कट की मांग की और इसके मूल शीर्षक 'घल्लूघारा' पर आपत्ति जताई। इस कारण फिल्म का नाम बदल गया। हालांकि शीर्ष सिख धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के हस्तक्षेप के कारण फिल्म को केवल नाम बदलने के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी।

इसके बावजूद 2022 में शेयर किए गए एक ट्रेलर को एक ही दिन में हटा लिया गया। दोसांझ ने इस महीने की शुरुआत में एक नया ट्रेलर साझा किया जिसमें अंतरराष्ट्रीय रिलीज की तारीख 7 फरवरी घोषित की गई। ट्रेलर को 300,000 से अधिक बार देखा गया लेकिन इसे भारत में यूट्यूब से भी हटा दिया गया। इससे सेंसरशिप के बारे में चिंताएं बढ़ गईं।

राजनीति फिल्म
हनी त्रेहान द्वारा निर्देशित और रोनी स्क्रूवाला द्वारा निर्मित 'पंजाब 95' का उद्देश्य इतिहास के इस काले अध्याय पर प्रकाश डालना है। फिल्म खालरा के खोजी कार्य को रेखांकित करती है जिसने उग्रवाद के समय के दौरान पंजाब पुलिस द्वारा 25,000 से अधिक गैरकानूनी हत्याओं और सिख युवाओं के सामूहिक दाह संस्कार का खुलासा किया था।

उनके प्रयासों के कारण 1995 में उनका अपहरण और हत्या कर दी गई। इसके लिए बाद में कई पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया गया। रिपोर्टों के अनुसार, पंजाब में उग्रवाद युग के चित्रण पर भारत की राजनीतिक संवेदनशीलता ने चुनौतियों को और बढ़ा दिया है जिसके परिणामस्वरूप इसे 2023 टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से भी हटा दिया गया था।

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