तीन आयामी (3D) प्रिंटिंग ऑटोमोटिव, निर्माण और एयरोस्पेस में एक व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली तकनीक है। हालांकि, यह दवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में काफी नई है। लेकिन 3डी प्रिंटिंग शोध वर्तमान में एक वैश्विक उछाल का अनुभव कर रहा है। स्वास्थ्य सेवा में एक के बाद एक कई नई 3डी प्रिंटिंग तकनीकें उभर आई हैं। हालांकि अभी इसकी सफलता सीमित है।
चूंकि प्रत्येक 3डी प्रिंटिंग तकनीक विभिन्न सामग्रियों, डिपोजिशन तकनीकों, लेयरिंग मैन्युफैक्चरिंग मेकेनिज्म और फाइनल प्रोडक्ट विशेषताओं का इस्तेमाल करती है। इसका इस्तेमाल विभिन्न दवा उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाता है। जैसे तत्काल रिलीज टैबलेट, नियंत्रित रिलीज टैबलेट, वितरण योग्य फिल्में और अन्य।
डॉ. रंजिता शेगोकर के पास फार्मास्युटिकल R&D, फॉर्मूलेशन डेवलपमेंट और नैनोपार्टिकल इनोवेशन में एक लंबा और विस्तृत अनुभव है। वह जर्मनी की DiHeSys GmbH (www.dihesys.com) में फार्मा इनोवेशन का नेतृत्व करेंगी। जर्मन तकनीक के साथ एक रचनात्मक भारतीय दिमाग को मिलाकर दवाएं बनाई जाएंगी। वह एक सफल इनोवेटर हैं। उनके पिछले सफल शोधों को पहले ही कई उल्लेखनीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इनमें German Medical Award 2023 और Deutsche Innovation Prize 2022 (www.ranjitas.com) शामिल हैं।
इस नई भूमिका में डॉ. रंजिता व्यक्तिगत रोगियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई 2D/3D प्रिंटेड दवा वितरण प्रणालियों के निर्माण का नेतृत्व करेंगी। उनका काम सटीक खुराक, टारगेटेड थैरेपी और अद्वितीय ड्रग कंबिनेशन पर केंद्रित होगा। खासकर जटिल स्थितियों जैसे हृदय रोग, कैंसर और बाल रोगों के लिए जहां कई साइड इफेक्ट के कारण मानक उपचार प्रभावी नहीं हो सकते हैं। इस अभूतपूर्व तकनीक में पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट में क्रांति लाने की क्षमता है।
डॉ. रंजिता को पता है कि इस काम में चुनौतियां भी हैं। एक नई तकनीक के तौर पर 3D-प्रिंटेड दवाओं के लिए रजिस्ट्रेशन और फाइलिंग का प्रोसेस जटिल है। इसके साथ ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, दवा नियम और अन्य नीतियां अभी भी FDA और EMA में नए आधार तैयार कर रही हैं।
वो मानती हैं कि लगातार नई चीजें बनाने के प्रयासों से 3D-प्रिंटेड दवा उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है। डॉ. रंजिता कहती हैं, 'अभी तो परंपरागत सोच शायद 3D प्रिंटेड दवाओं पर विश्वास नहीं करती होगी, लेकिन मुझे यकीन है कि जल्द ही यह सच्चाई होगी ..... बस देखते रहें।' डॉ. रंजिता शेगोकर के पास भारत के SNDT विश्वविद्यालय से फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी में पीएचडी है, और उन्होंने जर्मनी के फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन में फार्मास्युटिक्स, बायोफार्मास्युटिक्स और न्यूट्रीकॉस्मेटिक्स में पोस्टडॉक्टरल शोध पूरा किया है।
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