डॉ सतीश कथूला ने अमेरिका में भारतीय मूल के फिजिशियन डॉक्टरों के संगठन AAPI में प्रेसि़डेंट पद का कार्यभार औपचारिक रूप से संभाल लिया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में चार दशक पुराने इस सबसे बड़े एथनिक चिकित्सा संगठन की अगुआई करके मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं और खुद को भाग्यशाली मानता हूं। संस्था के समर्पित, मेहनती एवं निष्ठावान अधिकारियों व कार्यकारी समिति के सदस्यों के सहयोग से हम एएपीआई को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाएंगे।
डॉ. कथुला को इस वर्ष चुनाव नहीं लड़ना पड़ा क्योंकि वे पिछले साल से ही प्रेसिडेंट इलेक्ट के रूप में कार्य कर रहे थे। इसी तरह पिछले साल से वाइस प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. अमित चक्रवर्ती भी AAPI उपनियमों के अनुसार प्रेसिडेंट इलेक्ट नामित हो गए हैं।
प्रेसिडेंट इलेक्ट डॉ. अमित चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे विश्वास है कि डॉ. कथुला के नेतृत्व में हम एएपीआई के महान मिशन को आगे बढ़ाएंगे और संगठन को मजबूत करेंगे। नॉर्थ अलबामा पीसी के यूरोलॉजी क्लीनिक के पूर्व प्रेसिडेंट और सेंटर फॉर कॉन्टिनेंस एंड फीमेल पेल्विक हेल्थ के निदेशक डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि 1997 में एएपीआई का सदस्य बनने के बाद से ही मैं एक समर्पित सैनिक रहा हूं।
दो दशकों से अधिक समय से मेडिसिन में प्रैक्टिस करने वाले ओहियो डेटन के बोर्ड प्रमाणित हेमेटोलॉजिस्ट व ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ कथुला ने कहा कि मैं कार्यकारी समिति, ट्रस्टी बोर्ड और स्थायी समितियों के सभी अध्यक्षों को उनकी समर्पित सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। आइए हम एक-दूसरे के समर्थन, नवाचार और उत्कृष्टता से सभी के लिए उज्जवल और समृद्ध भविष्य का निर्माण करें।
डॉ. कथुला ने 1992 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज से स्नातक किया था। फिलहाल वह राइट स्टेट यूनिवर्सिटी बूनशॉफ्ट स्कूल ऑफ मेडिसिन डेटन ओहियो में मेडिसिन क्लीनिकल प्रोफेसर हैं। डॉ. कथुला अमेरिकन बोर्ड ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन के डिप्लोमेट हैं। उन्होंने चिकित्सा पत्रिकाओं में कई लेख लिखे हैं। अब आप्रवासी चिकित्सक के रूप में अपने सफर पर किताब लिख रहे हैं।
इस अवसर पर एएपीआई के 43वें प्रेसिडेंट के रूप में डॉ. कथुला ने अपना विजन भी सामने रखा। इसमें शामिल हैं- एएपीआई के शिक्षा, रोगी देखभाल, अनुसंधान एवं व्यावसायिकता में उत्कृष्टता के मिशन को बढ़ावा देना। एएपीआई की सदस्यता और सदस्यता लाभ बढ़ाना। युवा पीढ़ी को अधिकाधिक व्यस्त रखना। अमेरिका के प्रमुख चिकित्सक संगठनों से सहयोग करना। चिकित्सकों के लिए ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को फास्ट-ट्रैक आधार पर लागू करवाने का प्रयास करना। कानूनी माध्यम से एक लाख भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों की ताकत का लाभ उठाना शामिल हैं।
भारतीय विरासत के चिकित्सकों का बढ़ता प्रभाव स्पष्ट है, क्योंकि भारतीय मूल के चिकित्सकों ने देश भर में स्वास्थ्य देखभाल, शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रशासनिक पदों पर महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर लिया है। भारतीय मूल के चिकित्सकों को उनकी महान उपलब्धियों और भारत-अमेरिका संबंधों के परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण तरीकों से अपनी मातृभूमि, भारत और उनकी गोद ली गई भूमि, संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
एएपीआई 1982 में स्थापना के बाद से अमेरिका में 125,000 से अधिक प्रैक्टिशनर डॉक्टरों का समूह है। एएपीआई के सदस्य हर दिन लाखों रोगियों की देखभाल करते हैं। अमेरिका में हर 7 में से एक मरीज उनकी सेवाएं लेता है। संगठन के कई सदस्य उच्च पदों पर हैं और नीतियों, कार्यक्रमों और आविष्कारों के जरिए अमेरिका व दुनिया में स्वास्थ्य सेवा को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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