भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत चीन के साथ सीमा पर बाकी बचे हुए मुद्दों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से चल रहे सीमा विवाद के कारण द्विपक्षीय संबंधों में तनाव है। विदेश मंत्रालय (MEA) का प्रभार संभालने के तुरंत बाद जयशंकर ने पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इस चुनौती का समाधान करने के प्रयास किए जाएंगे। विदेश मंत्री ने कहा, 'इंडिया फर्स्ट' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' भारतीय विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत बने रहेंगे।
69 वर्षीय जयशंकर BJP के उन वरिष्ठ नेताओं राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण के साथ शामिल हैं, जिनके मंत्रालयों को बरकरार रखा गया है। चीन के साथ संबंधों के बारे में जयशंकर ने कहा कि उस देश के साथ सीमा पर कुछ मुद्दे बने हुए हैं और उन्हें हल करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि चीन के संबंध में हमारा ध्यान इस बात पर होगा कि बचे हुए मुद्दों को कैसे हल किया जाए। बता दें कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, हालांकि दोनों पक्ष कई तनाव बिंदुओं से अलग हो गए हैं।
विदेश मंत्री ने सरकार की विदेश नीति प्राथमिकताओं के बारे में संक्षेप में बात की। पाकिस्तान को लेकर नई सरकार के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने को प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ आतंकवाद का मुद्दा है। सीमा पार आतंकवाद एक अच्छे पड़ोसी की नीति नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमें जो दो सिद्धांत दिए हैं - 'भारत प्रथम' और 'वसुधैव कुटुम्बकम', ये भारतीय विदेश नीति के दो मार्गदर्शक सिद्धांत बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि यह सिद्धांत हमें 'विश्व बंधु' के रूप में स्थापित करेगा। एक बहुत अशांत दुनिया में, बहुत विभाजित, संघर्षों और तनावों की दुनिया में, यह सिद्धांत वास्तव में हमें एक ऐसे देश के रूप में स्थापित करेगा जिस पर कई लोगों का भरोसा है। इससे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और साथ ही प्रभाव भी बढ़ेगा।
जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने पिछली सरकार में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया। उनके लिए एक बार फिर मंत्रालय का नेतृत्व करना एक बड़ा सौभाग्य है। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए एक बार फिर विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपना एक बहुत बड़ा सम्मान और सौभाग्य की बात है। पिछले कार्यकाल में इस मंत्रालय ने वास्तव में शानदार काम किया।'
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