अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर युवाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच इस बार ज्यादा जोश नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह बुजुर्ग उम्मीदवारों द्वारा युवा उम्मीदवारों को जगह न दिया जाना है। ये कहना है भारतीय मूल के अमेरिकी डेमोक्रेट नेता स्वदेश चटर्जी का।
स्वदेश कई दशकों से डेमोक्रेट पार्टी का हिस्सा रहे हैं। उनका मानना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी बुजुर्ग पीढ़ी के नेता प्रतिभाशाली और ऊर्जावान युवा नेताओं को पर्याप्त अवसर नहीं दे रहे हैं। ऐसे में आगामी चुनावों में युवा कार्यकर्ताओं में जोश और ऊर्जा की कमी दिखाई दे सकती है। वे शायद उस ऊर्जा से काम करने के इच्छुक न दिखें, जैसा 2020 के चुनावों में नजर आए थे।
स्वदेश चटर्जी की गिनती राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी मित्रों में होती है। उनकी दोस्ती उस समय से है, जब वे सीनेटर हुआ करते थे। स्वदेश का मानना है कि राष्ट्रपति बाइडेन और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अब नए लोगों को आगे लाना चाहिए, ऐसे नौजवान जो शिक्षित हों और ऊर्जावान भी हों।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो सीनेट और कांग्रेस में अच्छा काम कर रहे हैं। हमें ऐसे लोगों को समर्थन करना चाहिए और बराक ओबामा जैसे नए नेताओं को आगे लाना चाहिए। ऐसा करने से ही डेमोक्रेटिक पार्टी नए स्तर पर पहुंच सकेगी।
नॉर्थ कैरोलिनी के कैरी में रहने वाले स्वदेश ने कहा कि अगर आप डेमोक्रेटिक पार्टी को करीब से देखें तो उसके आधार में अधिकतर अफ्रीकी अमेरिकी, युवा और कामयाब लोग हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि यह देश और यहां का लोकतंत्र दुनिया के लिए एक मिसाल बने। चिंता की बात ये है कि युवाओं में 2020 के चुनावों जैसा जोश नहीं दिख रहा है। इसकी एक वजह बुजुर्ग नेताओं का युवाओं के लिए जगह न छोड़ना और प्रवासियों की समस्याओं से निपटने के तरीके हैं।
भारत अमेरिकी रिश्तों को संवारने के लिए 2001 में भारतीय राष्ट्रपति के हाथों पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके स्वदेश चटर्जी हालांकि मानते हैं कि राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में कई अच्छे काम हुए हैं। इनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल, स्टूडेंट लोन माफ करने के अलावा साइंस के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य शामिल हैं। लेकिन ये सरकार उन अच्छे कार्यों का सही से प्रचार करने में नाकाम रही है। ऐसी छवि बना दी गई है, जैसे हमारा देश पीछे चला गया है।
स्वदेश ने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी को देश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में रिपब्लिकन पार्टी से ज्यादा वोट मिलते रहे हैं। लेकिन इस बार के चुनावों में शायद ऐसा न हो। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव ऐतिहासिक हैं। हमारे पास दो उम्मीदवार हैं और दोनों की ही उम्र 80 साल के आसपास है। ऐसे में युवा पीढ़ी उन्हें लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है।
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