ADVERTISEMENTs

चुनाव : बाइडेन-हैरिस का रुख साफ... लेकिन चिंताएं तो हैं!

चिंता एक नहीं कई हैं। बाइडेन अभियान को फंड करने वालों के तेवर तल्ख हैं। बाइडेन का स्मृति दोष या 'गलतियां' जारी हैं। इसी बीच खबरें हैं कि बाइडेन अभियान ने हैरिस बनाम ट्रम्प की प्रत्याशा को लेकर सर्वे कराया है। कुल मिलाकर डेमोक्रेटिक पार्टी में हवाएं 'गर्म' हैं।

राष्ट्रपति बाइडेन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस... / Courtesy Photo

राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के भीतर बीते कई दिनों से चल रही उम्मीदवार बदलने की मांग को बाइडेन-हैरिस जोड़ी ने स्पष्ट शब्दों में खारिज करके न केवल 'आंतरिक कोलाहल' को शांत करने की कोशिश की है बल्कि समर्थकों-कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रतिद्वंद्वी पार्टी को भी सीधा संदेश दिया है। दोनों के रुख से पूरे डेमोक्रेटक अभियान को तो ऊर्जा मिलेगी ही, हो सकता है इससे वित्तपोषकों के 'बिखराव' पर भी विराम लग जाए। उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की ओर से राष्ट्रपति बाइडेन के प्रति बिना देर किये अपनी प्रतिबद्धता और वफादारी व्यक्त करने से रिपब्लिकन उम्मीदवार और इस बार राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस शगूफे की भी हवा निकल गई है जो उन्होंने पिछले दिनों एक इंटरव्यू के दौरान छोड़ा था। ट्रम्प ने हैरिस के मन की बात जानने के बहाने जो 'दोधारी तलवार' चलाई  थी अब वह भी कुंद पड़ जाएगी, ऐसा माना जा सकता है। खास तौर से इस संदर्भ में।

बाइडेन को उम्र का आईना दिखाते हुए पिछले दिनों ट्रम्प ने दो अहम बातें कहीं। दोनों बातें सत्ताधारी खेमे की टोह लेने के लिए कही गई लगती हैं। उम्मीदवार बदलने की मांग के बीच पहली बात ट्रम्प ने यह कही कि जो बाइडेन चुनाव के मैदान में बने रहेंगे। ट्रम्प ने यह भी बताया कि शीर्ष पद की दौड़ में बाइडेन क्यों बने रहेंगे। बकौल ट्रम्प- बाइडेन अहंकारी हैं इसलिए चुनाव से पीछे नहीं हटने वाले। दूसरी बात ट्रम्प ने शायद उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का मनोविज्ञान जानने ने लिए कही होगी। ट्रम्प ने कहा कि अगर उप राष्ट्रपति चाहे तो वह संविधान के 25वें संशोधन का सहारा लेकर राष्ट्रपति की शक्तियां हासिल कर सकता है। उसे कैबिनेट को साथ मिलकर यह दावा करना होगा कि राष्ट्रपति अपने दायित्वों को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन लगता नहीं कि इस दिशा में कोई कदम उठाने का विचार है। यह विकल्प सुझाकर शायद ट्रम्प यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि उम्मीदवार बदलने की मांगों के बीच हैरिस की हसरत क्या है? पूर्व राष्ट्रपति जानना चाह रहे थे कि हैरिस की महत्वाकांक्षाएं कहां तक हैं।

बहरहाल, 9 जुलाई को नेवादा की चुनावी सभा में हैरिस ने जो कहा उससे न केवल ट्रम्प को उप राष्ट्रपति के इरादों का पता चल गया बल्कि उम्मीदवारी में तब्दीली की मांग करने वालों के बीच भी सब कुछ साफ हो गया। हैरिस ने बाइडेन को एक योद्धा बताते हुए कहा कि वह यह कहने वाले पहले व्यक्ति हैं कि जब आप नीचे गिर जाते हैं... तो आप फिर से खड़े हो जाते हैं। हैरिस ने एशियाई अमेरिकी, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीपसमूह के मतदाताओं के बीच कहा कि चूंकि बाइडेन एक योद्धा हैं इसीलिए हम लड़ना जारी रखेंगे और नवंबर में हम जीतेंगे। हैरिस का इशारा साफ था कि जो लोग उम्र को लेकर आपत्ति उठा रहे हैं उन्हे बाइडेन प्रशासन के काम को देखना चाहिए। उप राष्ट्रपति ने सरकार की कई उपलब्धियां गिनाईं। हैरिस ने पहले राष्ट्रपति खुद भी कई बार कह चुके थे कि वे चुनावी मैदान नहीं छोड़ने वाले। 27 जून को बाइडेन-ट्रम्प बहस के बाद जोर पकड़ रही उम्मीदवार बदलने की मांग को सत्ताधारी पार्टी के दोनों शीर्ष लोगों ने इस तरह से, लेकिन पुरजोर तरीके से शांत करने का जतन किया है।  

अलबत्ता चिंता एक नहीं कई हैं। बाइडेन अभियान को फंड करने वालों के तेवर तल्ख हैं। खबरों में तो यह भी कहा गया कि फाइनेंसर्स ने धमकी दी है कि अगर पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बदला तो वे फंडिंग रोक देंगे। अब जबकि बाइडेन के बाद हैरिस ने भी राष्ट्रपति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर दी है तो देखना होगा कि अभियान को फंड करने वाले किस हद तक संतुष्ट होंगे। बाइडेन का स्मृति दोष या 'गलतियां' जारी हैं। इसी बीच खबरें हैं कि बाइडेन अभियान ने हैरिस बनाम ट्रम्प की प्रत्याशा को लेकर सर्वे कराया है। कुल मिलाकर डेमोक्रेटिक पार्टी में हवाएं 'गर्म' हैं।

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related