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विवेक रामास्वामी ने क्यों कहा- अमेरिका में प्रवेश करना अधिकार नहीं, विशेषाधिकार है...!

रामास्वामी ने कहा कि हमें ऐसी आव्रजन नीतियों की आवश्यकता है जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करें, राष्ट्रीय पहचान को सुरक्षित रखें और आर्थिक विकास को बढ़ावा दें।

रामास्वामी ने वॉशिंगटन डीसी में एक सम्मेलन के दौरान कहा कि हम एक राष्ट्रीय पहचान संकट के बीच में हैं। / X@vivekramaswamy

भारतीय-अमेरिकी रिपब्लिकन विवेक रामास्वामी का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका एक राष्ट्रीय पहचान संकट का सामना कर रहा है जो काफी हद तक 'ढीली आव्रजन नीतियों' के कारण पैदा हुआ है। 

रामास्वामी ने वॉशिंगटन डीसी में एक सम्मेलन के दौरान कहा कि हम एक राष्ट्रीय पहचान संकट के बीच में हैं। हमने यह समझ खो दी है कि इस देश के नागरिक के रूप में हम कौन हैं। उस पर भी खराब आव्रजन नीतियों ने इस संकट को और गहरा दिया है। 
 
सख्त कानूनी अप्रवासन नीतियां

स्वामी ने अवैध अप्रवासन को रोकने के लिए सख्त सीमा नीतियों का आह्वान किया। उन्होंने अप्रवासियों के लिए उन्नत नागरिक-शास्त्र परीक्षाओं और दोहरी तथा जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने जैसे उपायों सहित कठोर कानूनी अप्रवासन नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रपति पद के पूर्व उम्मीदवार रामास्वामी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करना अधिकार नहीं है। यह एक विशेषाधिकार है। जब कोई अमेरिका आना चाहता है तो आप केवल उसके आर्थिक योगदान का मूल्यांकन ही मत कीजिए, बल्कि यह भी देखिए कि वह शख्स यहां रहते हुए अमेरिकी मूल्यों को अपनाने और साझा करने के लिए भी तैयार है या नहीं। वे मूल्य जो अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा और अमेरिकी संविधान में निहित हैं।

खुद को राष्ट्रीय स्वतंत्रतावादी बताते हुए रामास्वामी ने कहा कि उनके अनुसार अमेरिकी आव्रजन नीति का शीर्ष उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करना, अमेरिकी राष्ट्रीय पहचान को संरक्षित करना और उस क्रम में अमेरिकी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
 
अप्रवासन और व्यापार नीतियों पर आम सहमति में बदलाव
रामास्वामी ने आव्रजन और व्यापार नीतियों तथा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्थायी प्रभाव पर रिपब्लिकन पार्टी के विचारों में एक महत्वपूर्ण बदलाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हालांकि रिपब्लिकन लंबे समय से अवैध अप्रवासन का विरोध करते रहे हैं, लेकिन कानूनी अप्रवासन को लेकर एक गहरा विभाजन रहा है।

चीन पर निर्भरता
रामास्वामी ने व्यापार पर पारंपरिक नवउदारवादी सहमति और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव के पुनर्मूल्यांकन का भी आग्रह किया। उन्होंने इस धारणा की आलोचना की कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्वत: लाभ होता है और लोकतंत्र का प्रसार होता है। स्वामी ने विशेष रूप से आर्थिक जुड़ाव के माध्यम से चीन को बदलने के उद्देश्य से 'लोकतांत्रिक पूंजीवाद' की असफल रणनीति को लक्षित किया।

अमेरिका प्रथम... आंदोलन
अंत में रामास्वामी ने कहा कि आगामी चुनाव में प्रमुख सवाल यह नहीं है कि कौन जीतता है या हारता है बल्कि यह है कि अमेरिका फर्स्ट मूवमेंट किस दिशा में जा रहा है। स्वामी ने आशा जताई कि ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल सफल रहेगा।

रामास्वामी ने कहा कि जिस तरह ट्रम्प ने अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के नजरिये से विदेश नीति को फिर से तैयार किया, जिस तरह उन्होंने अमेरिकी श्रमिकों के हितों को आगे बढ़ाने की खातिर आव्रजन नीति को फिर से तैयार किया, जिस तरह उन्होंने हमारे निर्माताओं के हितों को आगे बढ़ाने के लिए व्यापार नीति को फिर से तैयार किया... वास्तव में इसी चीज ने उन्हें 2016 में एक सच्चा नेता बनाया। उन्होंने मौजूदा यथास्थिति, संपूर्ण मौजूदा व्यवस्था को चुनौती दी और एक नई दृष्टि पेश की।



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