वैसे तो खुशियां समय या स्थान विशेष की मोहताज नहीं होतीं, लेकिन दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में नॉर्डिक देशों का स्थान सबसे ऊपर है। इस साल की वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में टॉप 5 देशों में नॉर्डिक देश - फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन और इजराइल शामिल हैं। इस लिस्ट में भारत और अमेरिका की स्थिति गौर करने वाली है।
गौर करने की बात ये है कि इजराइल इन दिनों भीषण युद्ध में उलझा हुआ है, फिर भी वहां के नागरिक अपने आपको खुशहाल बताते हैं। मशहूर अर्थशास्त्री जॉन एफ हेलीवेल और रिचर्ड लायार्ड की मदद से तैयार इस इंडेक्स में भारत 126वें स्थान पर है। पिछली बार भी भारत इसी स्थान पर था।
एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत अमेरिका और जर्मनी पिछले एक दशक से अधिक समय में पहली बार टॉप 20 सबसे खुशहाल देशों में जगह बनाने में नाकाम रहे हैं। अमेरिका 23वें स्थान पर आ गया है जबकि जर्मनी 24वें स्थान पर फिसल गया है। कोस्टा रिका और कुवैत जैसे देशों ने पहली बार शीर्ष 20 रैंकिंग में जगह बनाई है। कोस्टा रिका को 12वां और कुवैत को 13वां स्थान मिला है।
143 देशों की इस वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट में अफगानिस्तान सबसे निचले पायदान पर है। वहां पर 2020 में तालिबान का शासन आने के बाद से मानवीय संकट गहराया हुआ है। अफगानिस्तान, लेबनान और जॉर्डन को 2006-10 के बाद से इंडेक्स में सबसे तेज गिरावट का सामना करना पड़ रहा है जबकि पूर्वी यूरोप में सर्बिया, बुल्गारिया और लातविया ने सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है।
यह रैंकिंग नागरिकों के जीवन की संतुष्टि के आकलन पर आधारित है, जो प्रति व्यक्ति जीडीपी, सामाजिक समर्थन, जीवन प्रत्याशा, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार के स्तर जैसे कारकों को मिलाकर तैयार किए गए हैं।
लेटेस्ट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि युवा पीढ़ी वैश्विक स्तर पर बुजुर्गों की तुलना में खुशी के उच्चतम स्तर पर है। हालांकि कुछ अपवाद भी हैं। उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 30 से कम उम्र के व्यक्तियों में खुशियां 2006 से 2010 तक उल्लेखनीय रूप से घटी हैं और पुरानी पीढ़ी के लोग अब ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं।
इसके उलट मध्य और पूर्वी यूरोप में सभी आयु समूहों में खुशियों में में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। पश्चिमी यूरोप में सभी उम्र के व्यक्तियों में खुशी का समान स्तर पाया गया है।
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