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FIIDS ने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर चिंता जताई, कट्टरपंथ पर लगाम लगाने की मांग

हाल ही की घटनाओं, जिसमें 25 नवंबर को हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास और संविधान से 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को हटाने के प्रयास शामिल हैं, इसने गंभीर चिंता पैदा की है। 

FIIDS ने कहा, 'बांग्लादेश तेजी से कट्टर इस्लामी देश बनता जा रहा है। ये सब अमेरिका, स्टेट डिपार्टमेंट और UN की नजरों के सामने हो रहा है।' / @arpita_dg

पॉलिसी एंड स्ट्रेटजी फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के अध्यक्ष और प्रमुख खांडेराव कंद ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बढ़ते उत्पीड़न का मुद्दा उठाया है। उन्होंने अमेरिका के टॉप लीडरशिप को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के बढ़ते उत्पीड़न के साथ ही अंतरिम सरकार के अधीन बढ़ते कट्टरवाद पर FIIDS की चिंता व्यक्त की है। 

ये पत्र नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, उनकी ट्रांजिशन टीम, सीनेटर मार्को रुबियो, प्रतिनिधि वाल्ट्ज, प्रतिनिधि तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी के साथ-साथ राष्ट्रपति जो बाइडन, सचिव एंटनी ब्लिंकन, IRF राजदूत राशद हुसैन और USCIR के कार्यकारी निदेशक एरिन डी. सिंगशिंसुक को भेजे गए हैं।

हाल ही की घटनाओं, जिसमें 25 नवंबर को हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास और संविधान से 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को हटाने के प्रयास शामिल हैं, इसने गंभीर चिंता पैदा की है। 

खांडेराव ने कहा, 'मैं बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों, एक हिंदू साधु की गिरफ्तारी। जिहादी चरमपंथी संगठनों को नजरअंदाज करते हुए, मानवीय धार्मिक अल्पसंख्यक संस्था इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के उसके चौंकाने वाले प्रयास की कड़ी निंदा करता हूं।' 

बांग्लादेश के घटनाक्रम पर पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश तेजी से कट्टर इस्लामी देश बनता जा रहा है। ये सब अमेरिका, स्टेट डिपार्टमेंट और UN की नजरों के सामने हो रहा है। ऐसे में अब तुरंत एक्शन लेना चाहिए ताकि वहां डेमोक्रेसी वापस आए और अल्पसंख्यकों की हिफाजत हो। मैं सिर्फ राष्ट्रपति बाइडन से ही नहीं, बल्कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी ट्रांजिशन टीम से भी गुजारिश करता हूं कि बांग्लादेश में शांति बहाल करने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।'

इस संगठन ने अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के साथ हुए ऐतिहासिक जुल्मो सितम पर भी ध्यान उजागर किया है। दशकों से हिंदुओं को लगातार हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। उनकी आबादी भी लगातार कम होती जा रही है। FIIDS बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बचाए रखने के लिए तुरंत कार्रवाई करने का आह्वान करता है। 

पत्र में यह भी बताया गया है कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान तकरीबन 30 लाख लोग मारे गए थे, जिनमें हिंदुओं को ज्यादा निशाना बनाया गया था। इसे आम तौर पर नरसंहार माना जाता है। 1947 से बांग्लादेश में हिंदू आबादी 20 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत से भी कम हो गई है। दशकों से चल रही हिंसा, जबरन धर्म परिवर्तन और भेदभाव इसकी वजह है।

प्रधानमंत्री शेख हसीना के जाने के बाद से राजनीतिक अशांति बढ़ गई है जिससे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जुल्म और बढ़ गए हैं। 200 से अधिक मंदिरों, इस्कॉन केंद्रों और अल्पसंख्यक इलाकों पर हमले हो चुके हैं। साथ ही, सरकार इस्कॉन पर बैन लगाने की कोशिश कर रही है और उसे 'धार्मिक कट्टरपंथी संगठन' कह रही है। 

FIIDS ने अमेरिकी प्रशासन से आग्रह किया है कि वह बांग्लादेश में इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए। इसमें अंतरिम सरकार पर दबाव बनाना शामिल है ताकि चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जा सके। इस्कॉन की रक्षा की जा सके और अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को रोका जा सके। 

 

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