संयुक्त राज्य अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। आम लोगों के लिए इस मंदिर को 18 फरवरी से खोला जाएगा। हाल में ही इस मंदिर की तस्वीरें सामने आई हैं जो काफी खूबसूरत है। हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 13-14 फरवरी को यूएई की यात्रा को लेकर भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास के अधिकारी दिन-रात तैयारियों में जुटे हैं। हिंदू मंदिर का नाम BAPS हिंदू मंदिर है, जिसे BAPS संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी 13 फरवरी को अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में भारतीय समुदाय शिखर सम्मेलन ‘अहलान मोदी’ (हेलो मोदी) को संबोधित करेंगे। 14 फरवरी को यूएई की राजधानी में बीएपीएस हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे।
इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है, जिसमें 40 हजार क्यूबिक मीटर संगमरमर और 180 हजार क्यूबिक मीटर बलुआ पत्थर शामिल है। मंदिर के निर्माण में 50,000 से अधिक लोगों ने ईंटें रखी हैं, जिनमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अभिनेता संजय दत्त और अक्षय कुमार भी शामिल हैं। इस मंदिर को बनाने के लिए वैदिक वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है।
‘अहलान मोदी’ कार्यक्रम के बारे में यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर ने कहा कि उम्मीद है कि स्वागत समारोह स्थल पर हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे। प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए एक रजिस्ट्रेशन पोर्टल बनाया गया है। यह कार्यक्रम यूएई में 150 भारतीय सामुदायिक संगठनों द्वारा मिलकर आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम को शानदार बनाने के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया है जिसमें 400 स्थानीय प्रतिभाएं शामिल होंगी।
उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान राजस्थान और गुजरात के 2,000 से अधिक कारीगरों ने मंदिर के लिए सफेद संगमरमर के 402 स्तंभों को तराशा है। राजदूत सुधीर ने कहा कि 35 लाख से अधिक भारतीय संयुक्त अरब अमीरात को अपना घर कहते हैं। हाल के वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर का निर्माण है।
उन्होंने कहा कि मंदिर एक आकर्षक आध्यात्मिक स्थल होगा। अबू धाबी के बाहरी इलाके में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थापित यह मंदिर हमारे पूर्वजों-महात्मा गांधी और शेख जायद की आकांक्षा के अनुसार शांति और सहिष्णुता की स्थायी परंपरा का प्रमाण होगा। मंदिर के उद्घाटन से पहले इसकी स्थापत्य कला की एक झलक पाने के लिए 42 देशों के राजदूतों के लिए सोमवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इस दौरान राजदूत सुधीर ने कहा कि यह असंभव लग रहा था, लेकिन सपना सचमुच हकीकत बन गया है। बीएपीएस हिंदू मंदिर परियोजना के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने मंदिर के ऐतिहासिक महत्व, निर्माण प्रक्रिया और इसके वैश्विक प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अंतर-धार्मिक और अंतर-सांस्कृतिक सद्भाव के एक शक्तिशाली आधार के रूप में मंदिर की भूमिका पर जोर दिया और यूएई तथा भारतीय नेतृत्व दोनों के प्रति आभार व्यक्त किया। नेपाल के राजदूत तेज बहादुर छेत्री ने मंदिर को 'तीर्थभूमि' की संज्ञा देते हुए कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसे हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को उपहार में देंगे।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login