अमेरिका में इस साल का सीजनल फ्लू का जबर्दस्त प्रकोप है। कहा जा रहा है कि यह पिछले 15 वर्षों में सबसे गंभीर प्रकोप है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अब तक 2.9 करोड़ से अधिक लोग फ्लू से संक्रमित हो चुके हैं।
फ्लू की चपेट में आए 3.7 लाख से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में एथनिक न्यूज मीडिया ब्रीफिंग में विशेषज्ञों ने इस फ्लू के खतरे को लेकर चर्चा की। इस दौरान वैक्सीनेशन में गिरावट, टीकों पर घटता भरोसा और अप्रवासी समुदाय में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कमी जैसे मुद्दे उठाए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये बीमारियां संक्रामक है, लेकिन वैक्सीन न लगवाने की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ रही है। कोविड वैक्सीन को लेकर गलत धारणाओं का असर अब सभी टीकाकरण कार्यक्रमों पर पड़ रहा है। वैक्सीनेशन में काफी गिरावट देखी जा रही है।
बच्चों में 46.9% को ही फ्लू का टीका लगा है, वहीं वयस्कों में यह दर 45.8% और 65 साल के ऊपर के बुजुर्गों में 70.7% रह गई है। कम टीकाकरण और बंद जगहों पर संक्रमण फैलने के कारण फ्लू बेतहाशा फैल रहा है। खासकर लैटिनी, अश्वेत और अमेरिका के मूल निवासी समुदायों में इसका प्रकोप ज्यादा है। महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित समुदायों में अप्रवासी भी शामिल हैं।
लैटिनो कोएलिशन अगेंस्ट कोविड-19 के मेंबर डॉ. डैनियल टर्नर ललोवेरास बताते हैं कि निर्वासन का डर लोगों को अस्पतालों और क्लीनिकों से दूर कर रहा है। साल 2023 के KFF/LA Times सर्वे के मुताबिक, 22% अप्रवासी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं ले रहे हैं जबकि 27% अवैध अप्रवासी और 8% वैध अप्रवासी सरकारी सहायता लेने से बच रहे हैं।
डॉक्टर टर्नर का कहना है कि कई अप्रवासी इस डर से अस्पतालों में नहीं जाते कि कहीं वे सरकारी अधिकारियों की नजरों में न आ जाएं। यह डर न केवल उनकी बल्कि पूरे समाज की सेहत के लिए खतरा बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कुछ लोग ही वैक्सीन लेंगे और बाकी इससे बचेंगे तो बीमारी तेजी से फैलेगी। पहले भी यह देखा गया है कि जब कुछ लोगों ने अपने बच्चों को टीके नहीं लगवाए तो वो बीमारियां भी लौट आईं जिन्हें अमेरिका में खत्म माना जा रहा था।
डॉ पीटर चिन होंग ने कहा कि इस साल फ्लू ने बच्चों को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। अब तक 86 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि फ्लू के लक्षण सर्दी या कोविड से अलग होते हैं। यह अचानक तेज बुखार, बदन दर्द और सांस लेने में तकलीफ के रूप में सामने आता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल फ्लू का सीजन देर से शुरू हुआ है और यह अप्रैल-मई तक जारी रह सकता है। वैक्सीन न केवल मौजूदा स्ट्रेन से बचाने में मदद करेगी बल्कि बर्ड फ्लू के संभावित खतरे को भी कम कर सकती है।
उन्होंने कहा कि इस खतरनाक स्थिति के बावजूद हमारे पास बचाव के सारे साधन मौजूद हैं। वैक्सीनेशन, एंटीवायरल दवाएं और डायग्नोस्टिक टेस्ट। डॉ. बेंजामिन न्यूमैन का कहना है कि अगर कुछ लोग वैक्सीनेशन से बचेंगे तो वायरस को फैलने का मौका मिलेगा। इसलिए सामूहिक सुरक्षा के लिए हर व्यक्ति वैक्सीन ले और अपनी सेहत के साथ पूरे समाज को सुरक्षित रखें।
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