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भारत में किस तरह चल रहा माइंड कंट्रोल का गेम, इस भारतीय-अमेरिकी ने किया आगाह

इनफिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक राजीव मल्होत्रा ने कहा कि भारत में टिकटॉक पर बैन एक अच्छा कदम था। अमेरिका में भी ऐसा करने की जरूरत थी लेकिन यहां ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी। भारत ने यह कर दिखाया, इसके लिए मैं पीएम मोदी की तारीफ करता हूं। 

राजीव मल्होत्रा प्रिंसटन बेस्ड इनफिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक और लेखक हैं। / साभार सोशल मीडिया

इनफिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक और भारत एवं हिंदू धर्म पर कई पुस्तकें लिख चुके भारतीय-अमेरिकी लेखक राजीव मल्होत्रा का कहना है कि सोशल मीडिया काफी हद तक विदेशी कंपनियों का कंट्रोल है, जो कि चिंता का एक प्रमुख विषय है। अपनी किताब 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड द फ्यूचर ऑफ पावर' में उन्होंने इस बार पर चर्चा भी की है कि विदेशी एल्गोरिदम किस तरह माइंड कंट्रोल और पॉलिटिकल कंट्रोल करने में मदद करते हैं। 

मल्होत्रा ने कहा कि अगर विदेशी कंपनियां भारत में सर्वर लगाती हैं तो भी इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि ये सर्वर भी अमेरिकी एल्गोरिदम पर ही चलते हैं, इसलिए इससे फर्क नहीं पड़ता कि ये कहां पर लगे हैं। ये आपके घर में भी लग सकता है, लेकिन जो भी डेटा इकट्ठा हो रहा है, वह बाहर जा रहा है और जो वापस आ रहा है, वह यह है कि आपको कैसे मैनेज किया जाए और किस तरह आपको मैनिपुलेट किया जाए।

रिसर्च एंड एजुकेशन पर फोकस्ड प्रिंसटन बेस्ड संस्था इनफिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक मल्होत्रा एआई, डेटा साइंसेज, डेटा प्रोटेक्शन और सर्विलांस में सतर्कता की जरूरत पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया का मालिकाना हक अब उद्योगपतियों के पास है। मीडिया अब स्वायत्त नहीं रह गया है। सही मायने में देखें तो भारतीय मीडिया में स्वतंत्रता बहुत कम रह गई है। सरकार और कारोबारी घरानों के प्रभाव से मुक्त स्वतंत्र मीडिया अब दुर्लभ है।

पीएम मोदी की सराहना

मल्होत्रा ने टिकटॉक को बैन करने के भारत के फैसले की सराहना की, साथ ही फेसबुक और गूगल जैसे अमेरिकी कंपनियों से साझेदारी के खिलाफ आगाह भी किया। उनका मानना है कि ये भारत के टेक्नोलोजी लैंडस्केप में विदेशी प्रभाव को और बढ़ा सकती हैं। उन्होंने कहा कि टिकटॉक को बैन करना एक अच्छा कदम था। अमेरिका में भी ऐसा करने की जरूरत थी लेकिन यहां ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी। भारत ने यह कर दिखाया। इसके लिए मैं पीएम मोदी की तारीफ करता हूं। 

मल्होत्रा ने आगाह करते हुए कहा कि आप ये मत सोचिए कि अमेरिकियों के पास टिकटॉक से 10 गुना बदतर चीजें नहीं हैं। ये मत सोचिए कि फेसबुक या गूगल के साथ साझेदारी अच्छी बात है। वे आपके घर में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। नए प्लेटफॉर्म बना रहे हैं, अपने उपकरण लगा रहे हैं। भारत असल में अमेरिकी प्लेटफार्म के ऊपर अपने टेक्नोलोजिकल आर्किटेक्चर तैयार कर रहा है। 

सकारात्मक बदलाव और चुनौतियां

मल्होत्रा ने उम्मीद जताई कि मोदी सरकार की अगुआई में भारत में अगले पांच और साल तक स्थिरता आएगी। इस दौरान आवश्यक संवैधानिक संशोधन का मौका भी मिल सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में और अधिक विकास की जरूरत है। आप आंकड़े दिखा सकते हैं कि समाज के हर वर्ग को फायदा हुआ है, गरीबों, अल्पसंख्यकों और अन्य लोगों को फायदा हुआ है।

हालांकि मल्होत्रा भारत में कई ताकतवर परिवारों, प्रभावशाली पृष्ठभूमि के लोगों और अभिजात्य वर्ग के बारे में चिंता भी जताते हैं। उनका मानना है कि इनमें से तमाम लोग नकारात्मक विचारधाराओं से प्रभावित हैं। कई लोग अपने नाम पर थिंक टैंक चला रहे हैं, वे बहुत नकारात्मक, भारत विरोधी और हिंदू विरोधी हैं।

'कुछ लोग दिमाग में जहर घोल रहे'

वह अपनी किताब 'स्नेक्स इन द गंगा' में पेश 'ब्रेकिंग इंडिया 2.0' कॉन्सेप्ट का जिक्र करते हैं, जिसमें भारत में कुलीन वर्ग पर नकारात्मक विचारधाराओं के प्रभाव का जिक्र किया गया था। उनका कहना है कि 'ब्रेकिंग इंडिया 2.0 अमीर लोगों के पिरामिड में शीर्ष पर मौजूद लोगों, अमीरों द्वारा वित्त पोषित कुलीन वर्ग के बारे में बात करता है। इनमें से कुछ हमारे अपने अमीर लोगों के दिमाग में जहर घोल रहे हैं। ये लोग विभिन्न तरीकों से देश चला रहे हैं और दिमाग में नकारात्मक विचारों के बीज बो रहे हैं।
 

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