विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रोम में भारतीय दूतावास के नए चांसरी का उद्घाटन करते हुए इटली के साथ गहरे ऐतिहासिक संबंधों और बढ़ती साझेदारी को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि भारत और इटली के ऐतिहासिक संबंध बहुत गहरे हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यूरोप के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इटली के जरिए था। सदियों से इटली ने भारत के साथ वस्तुओं के आदान-प्रदान के द्वार का कार्य किया है। इटालियन नागरिक हमारे लिए उत्पादक, ग्राहक, फाइनेंसर और वाहक रहे हैं।
जयशंकर ने इटली में भारतीय प्रवासियों के लिए नए चांसरी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में यह भारत-इटली की साझेदारी को नया आयाम देता है। इससे हमें इटली में भारतीय समुदाय की बेहतर तरीके से सेवा करने में भी मदद मिलेगी।
जयशंकर ने प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी द्वारा भूमध्यसागर को अटलांटिक एवं हिंद महासागरों को जोड़ने वाला पुल बताए जाने का हवाला देते हुए साझा समुद्री हितों पर जोर दिया। उन्होंने अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में समन्वित प्रयासों, नौवहन की स्वतंत्रता और समुद्री सुरक्षा की व्यापक प्रतिबद्धताओं का भी जिक्र किया। जयशंकर ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को गेमचेंजर करार दिया।
जयशंकर ने मेलोनी सरकार के भारत और भूमध्यसागर पर फोकस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यूरोप खासकर इटली के साथ भारत की जुड़ाव पारस्परिक रूप से मजबूत हो रहा है। हम इटली को यूरोप और भूमध्य सागर में अपना प्रमुख भागीदार मानते हैं। दोनों देशों के नेताओं के बीच लगातार उच्चस्तरीय वार्ताएं द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती दर्शाती हैं।
इटली में भारतीय राजदूत वाणी राव और इटली के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इटली की यात्रा पर गए जयशंकर की अगवानी की। यात्रा के दौरान जयशंकर जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान आउटरीच सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। वह रोम में 10वीं मेड मेडिटेरेनियन डायलॉग में भी हिस्सा लेंगे।
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