संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भारतीय प्रवासी समुदाय में पिछले पांच दशकों में असाधारण वृद्धि देखी गई है। 1970 के दशक में यह 5,000 से बढ़कर 2025 में अनुमानित 39 लाख हो गई है। एक गैर-लाभकारी संगठन इंडियास्पोरा की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट का शीर्षक है 'प्राचीन विरासत से आधुनिक विजय तक: यूएई में भारतीय प्रवासी'। ये रिपोर्ट भारतीय डायस्पोरा के उभार और उनके योगदान पर रोशनी डालती है। इसमें बताया गया है कि कैसे भारतीयों ने यूएई में अपनी जगह बनाई और मिडिल ईस्ट में अपना कामयाबी का परचम लहराया।
UAE में भारतीयों की तादाद बढ़ने के साथ ही उनकी आर्थिक पकड़ भी मजबूत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'आज यूएई में रहने वाले करीब 35% भारतीय प्रोफेशनल, बिजनेस लीडर, उद्यमी और दूसरे हाई-प्रोफाइल जॉब्स में काम करते हैं।'
भारतीय समुदाय का एक बड़ा योगदान है हर साल भारत भेजे जाने वाले अरबों डॉलर। 2023 में, यूएई में रहने वाले भारतीयों ने 21.6 अरब डॉलर भेजे, जो दुनियाभर से भारतीयों द्वारा भेजे गए कुल पैसे का 18% है। इस पैसे से लाखों परिवारों का गुजारा चलता है। बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और छोटे-मोटे बिजनेस चलते हैं। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 'दोनों देशों की सरकारें आपसी तरक्की के लिए काम कर रही हैं। इससे उद्यमियों, बिजनेस और प्रोफेशनल्स को तरक्की के मौके मिल रहे हैं। भारत और यूएई के बीच व्यापार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसमें फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और अपनी करंसी में लेन-देन जैसे कदमों का अहम योगदान है।'
दोनों देशों के बीच लेन-देन सिर्फ पैसे भेजने तक ही सीमित नहीं है। 2000 से 2023 के बीच, भारत को UAE से 16 अरब डॉलर से ज्यादा विदेशी निवेश मिला है, जबकि भारत ने यूएई में 19 अरब डॉलर का निवेश किया है। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और अपनी मुद्रा में लेन-देन से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हुए हैं। इससे पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर एक नई साझेदारी का रास्ता खुला है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'जैसे-जैसे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं बदल रही हैं, ये साझेदारी पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर दुनिया के मुख्य व्यापारिक भागीदारों के तौर पर अपनी भूमिका को और मजबूत करेगी। UAE में भारतीय प्रवासी वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े में से एक है। उन्होंने छह महाद्वीपों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मौसम को ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'
बिजनेस के लिए अच्छे माहौल बनाने के काम में भारतीय उद्यमियों का जबरदस्त योगदान रहा है। पहले वीजा की पाबंदियां और बिजनेस में स्थानीय लोगों की जरूरी हिस्सेदारी प्रवासी भारतीयों के लिए मुश्किलें पैदा करती थी। इंडियन बिजनेस एंड प्रोफेशनल काउंसिल जैसे संगठनों के जोर देने से काफी सुधार हुए हैं। अब ज्यादातर क्षेत्रों में विदेशी पूरी तरह से मालिक बन सकते हैं। वीजा की अवधि बढ़ गई है। 10 साल का गोल्डन वीजा भी शुरू हुआ है। इन बदलावों से UAE निवेश और लंबे समय तक बसने के लिए और भी आकर्षक बन गया है।
UAE में नई-नई टेक्नोलॉजी लाने में भारतीय प्रवासी अहम भूमिका निभा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फिनटेक और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में भारतीय प्रोफेशनल और उद्यमी देश के डिजिटल बदलाव को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं। खास तौर पर कुशल लोगों को रख पाना कठिन है, क्योंकि बैंकिंग के नियमों और STEM क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है।
इन चुनौतियों के बावजूद, UAE ब्लॉकचेन पर आधारित फाइनेंशियल सॉल्यूशंस, डिजिटल पेमेंट और DF (Decentralized Finance) में महारत रखने वाले भारतीय उद्यमियों के लिए एक बेहतरीन जगह बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'दुबई चैंबर ऑफ कॉमर्स में रजिस्टर्ड 90,000 से ज्यादा भारतीय कंपनियों का आर्थिक प्रभाव बहुत बड़ा और जबरदस्त है। सिर्फ 2023 की पहली छमाही में दुबई में 6,717 नई भारतीय कंपनियां रजिस्टर हुई हैं। यह पिछले साल के मुकाबले 39% की बढ़ोतरी है। ये यूएई की अर्थव्यवस्था में भारतीयों के प्रभाव को साफ दिखाता है।'
UAE में रहने वाले भारतीय दुनिया के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक हैं। ये देश के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में गहराई से जुड़े हुए हैं। उनका योगदान व्यापार, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और शासन जैसे कई क्षेत्रों में है। वे UAE के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही भारत से अपने मजबूत रिश्ते भी बनाए हुए हैं। जैसे-जैसे भारतीय प्रवासी समुदाय बढ़ता और विकसित होता जाएगा, उसका प्रभाव और भी गहरा होता जाएगा। यह तमाम सीमाओं को पार करेगा और भारत और यूएई के बीच साझा समृद्धि के भविष्य का निर्माण करेगा।
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