भारत में मरीजों और उनके परिजनों को इलाज की लगभग 70 फीसदी लागत खुद ही वहन करनी पड़ती है। इसकी वजह से अक्सर कई लोग वित्तीय संकट में घिर जाते हैं। संकट की इस घड़ी में 'मिलाप' (Milaap) नया जीवनदान देने का प्रयास करता है। यह भारत का अग्रणी क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म है जो मेडिकल खर्चों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए उम्मीद जगाता है।
आईआईटी मद्रास व आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र मयूख चौधरी और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के पूर्व छात्र अनोज विश्वनाथन द्वारा 15 साल पहले मिलाप की स्थापना की गई थी। यह लोगों को जरूरतमंदों को तत्काल उपचार और लंबे समय तक देखभाल प्रदान के लिए लोगों को दान देने में सक्षम बनाता है। इसमें कम से कम 1,000 रुपये दान दिया जा सकता है। मिलाप ने अब तक दान में 185 मिलियन डॉलर (लगभग 1,490 करोड़ रुपये) से अधिक जुटाए हैं। छह लाख से अधिक दाताओं के इस योगदान से तीन लाख से ज्यादा रोगियों की मदद की जा चुका है।
सह-संस्थापक मयूख चौधरी ने बताया कि मिलाप ऑनलाइन फंडरेजिंग को सरल, तेज और सुरक्षित बनाने के लिए DAFPay का प्रयोग करता है। ऐप्पल पे या गूगल पे की तरह की यह प्रणाली अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं को मेडिकल इमरजेंसी, शिक्षा और मेमोरियल जैसे कारणों में आसानी से योगदान देने में सक्षम बनाती है। DAFPay अमेरिका में रहने वाले दानदाताओं के लिए खासतौर से फायदेमंद है।
मिलाप अमेरिका में मेडिकल खर्चों का बोझ उठाने में भी मदद करता है। उसने Getcopayhelp लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य पुरानी बीमारियों वाले अमेरिकी मरीजों के लिए दवा की लागत घटाना है। यह पहल रोगियों को दवा कंपनियों और धर्मार्थ संगठनों के वित्तीय सहायता कार्यक्रमों से जोड़ती है, कागजी कार्रवाई और समन्वय करती है ताकि मरीज अपनी सेहत पर ध्यान दे सकें।
2015 में मिलाप ने टेक्सास के डलास में एक पंजीकृत इकाई और कार्यालय की स्थापना की थी। इससे अमेरिका में उपस्थिति बढाने में मदद मिली। एसेट इंडिया फाउंडेशन (501(c)(3)संगठन ) के साथ साझेदारी से मिलाप सुनिश्चित करता है कि अमेरिकी दानदाताओं द्वारा दी गई डोनेशन कर-कटौती योग्य हों जिससे उनके योगदान को अधिकतम किया जा सके।
मिलाप के कार्यों को प्रमुख संगठनों से मदद मिली है। मंच को यूएसएआईडी और डेविड एंड ल्यूसिल पैकार्ड फाउंडेशन से अनुदान प्राप्त हुआ है। यूनिटस सीड फंड के माध्यम से विनोद खोसला के खोसला वेंचर्स से निवेश मिला है। मिलाप के दानदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अमेरिका से आता है जो इसके योगदानकर्ताओं में 28 प्रतिशत से अधिक हैं। इनमें एक बड़ी संख्या भारतीय डायस्पोरा की है जो भारत के साथ उनका मजबूत संबंध और अपने मूल देश में लोगों की मदद की इच्छा को दर्शाता है।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login