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अमेरिका में भारतीय मूल की नर्स पर 'नफरत से प्रेरित' हमला, फंड जुटाने का अभियान शुरू 

अमेरिका में नफरत की आग ने भारतीय मूल की नर्स 67 साल की लीलाम्मा लाल को अपना शिकार बनाया है। वह अपनी सेवाओं से लोगों की जिंदगी बचाने में लगी हुई थीं। इस घटना ने न सिर्फ लीलाम्मा के परिवार को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पूरे समुदाय में डर और चिंता है।

67 साल की लीलाम्मा लाल पर अमेरिका में हमला हुआ है। / GoFundMe

अमेरिका में 67 साल की लीलाम्मा लाल नाम की एक भारतीय मूल की नर्स पर 18 फरवरी को HCA फ्लोरिडा पाम्स वेस्ट हॉस्पिटल में एक मरीज ने हमला कर दिया था। इस घटना के बाद उनके इलाज के लिए 'स्टैंड विद लीला' नाम से एक GoFundMe कैंपेन शुरू किया गया है। 2 मार्च तक इस कैंपेन में तकरीबन 135,000 डॉलर इकट्ठा हो चुके हैं।

लीलाम्मा के परिवार के एक दोस्त ने ये धन संग्रह शुरू किया है। उन्होंने बताया कि इस हमले में लीलाम्मा को बहुत ही गंभीर चोटें आई हैं। उनके चेहरे की कई हड्डियां टूट गई हैं, ब्रेन ब्लीड हुआ है और आंखों में बहुत ज्यादा चोट लगी है। इससे उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है। वो अभी सेंट मैरी मेडिकल सेंटर में क्रिटिकल कंडीशन में हैं और उन्हें इंटेंसिव केयर की जरूरत है। उनके कई ऑपरेशन भी होने बाकी हैं।

कैंपेन के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, 'इस हमले की वजह से मानसिक और आर्थिक तौर पर उनका बहुत बुरा हाल है।' लीलाम्मा को सिर्फ शारीरिक तकलीफ ही नहीं झेलनी पड़ रही है, बल्कि उन पर बढ़ते मेडिकल बिल्स, कमाई का नुकसान और इस दर्दनाक घटना के मानसिक सदमे का भी बोझ है। 

पाम बीच पोस्ट की खबर के मुताबिक, ये घटना तब हुई जब लीलाम्मा 33 साल के स्टीफन स्कैंटलबरी का इलाज कर रही थीं। स्कैंटलबरी को किसी मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्या की वजह से नहीं, बल्कि किसी और वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन जांच के दौरान डॉक्टर्स ने पाया कि वो फ्लोरिडा के किसी एक्ट के तहत अनिवार्य मानसिक जांच के दायरे में आते हैं। ये कानून उन लोगों को अस्थायी रूप से हिरासत में लेने की इजाजत देता है जो खुद के लिए या दूसरों के लिए खतरा बन सकते हैं।

शेरीफ की रिपोर्ट के अनुसार, जब लीलाम्मा स्कैंटलबरी के कमरे में गईं, तो उसने अचानक उन पर हमला कर दिया और उनके चेहरे पर बार-बार वार किया। इस हमले में उनके चेहरे की लगभग हर हड्डी टूट गई, खून बहने लगा और आंखों में बहुत गंभीर चोटें आईं। इसके बाद स्टीफन अस्पताल से भाग गया, लेकिन बाद में उसे साउदर्न बुलेवर्ड पर भागते हुए पकड़ लिया गया। 

पाम बीच काउंटी के एक जज ने स्टीफन को बिना जमानत के जेल में रखने का आदेश दिया है। वेलिंग्टन के रहने वाले स्टीफन पर दूसरी डिग्री की हत्या की कोशिश का आरोप है, और पाम बीच काउंटी शेरिफ के ऑफिस ने इस अपराध को घृणा अपराध की श्रेणी में रखा है। अधिकारियों का कहना है कि स्टीफन ने लीलाम्मा की जाति, लिंग या धर्म के बारे में कुछ ऐसा कहा था जिससे ये साफ होता है कि उसने नफरत से प्रेरित होकर ये काम किया। 

पाम बीच पोस्ट के मुताबिक, 25 फरवरी को कोर्ट की सुनवाई में स्टीफन ने खुद को निर्दोष बताया। उसके वकील ने उसे घर में नजरबंद रखने और 125,000 डॉलर की जमानत की मांग की। लेकिन सर्किट जज डोनाल्ड हैफेल ने जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस अर्जी को खारिज कर दिया।

लीलाम्मा की बेटी और मेलबर्न में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सिंडी जोसेफ अपने परिवार और साथी नर्सों के साथ जज से स्टीफन को जेल में ही रखने की अपील की। डॉ. जोसेफ ने कहा, 'अगर उसे रिहा कर दिया गया और वो भाग गया तो मेरी मां को इंसाफ नहीं मिलेगा। उसके काम की वजह से हमारी जिंदगी पहले जैसी कभी नहीं रहेगी। हम डर के साये में जी रहे हैं, हर समय पीछे मुड़कर देख रहे हैं। हमें पता है कि इतना हिंसक इंसान अगर आजाद घूमता रहेगा तो ये हम सभी के लिए खतरा होगा।'

जज ने एक प्रीट्रायल डिटेंशन सुनवाई तय की है, जिसमें स्टीफन की जमानत पर फिर से विचार किया जा सकता है। पाम बीच पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उसकी पहली केस कॉन्फ्रेंस 10 अप्रैल को सर्किट जज कैरोलिन शेपर्ड के सामने होगी। 

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने बताया कि हमले के बाद मरीज ने कथित तौर पर नस्लीय टिप्पणी की थी। संस्था ने एक बयान में कहा, 'फ्लोरिडा के एक अस्पताल में एक मरीज ने नर्स लीला लाल को गंभीर रूप से घायल कर दिया और कहा कि 'इंडियंस बुरे होते हैं' और 'मैंने उस इंडियन डॉक्टर की बहुत पिटाई की।' 

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