भारत के महाराष्ट्र राज्य में 10 दिवसीय गणेश उत्सव गणेश चतुर्थी से प्रारंभ हो गया। बाधाओं को दूर करने वाले और समृद्धि के प्रतीक भगवान गणेश को समर्पित यह भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। गणेशोत्सव वैसे तो महाराष्ट्र का मूल त्योहार है लेकिन अब भारत ही नहीं, अमेरिका समेत तमाम देशों में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
न्यूयॉर्क, ह्यूस्टन और सैन फ्रांसिस्को जैसे प्रमुख अमेरिकी शहरों में भी गणेशोत्सव पर धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय मंदिरों और सामुदायिक केंद्रों में खासतौर से आयोजन होते हैं जिनमें भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ स्थानीय नागरिक भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
अमेरिका में गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा उत्सव फिलाडेल्फिया में मराठी समुदाय के सदस्यों द्वारा मनाया जाता है। इलिनोइस में साईं संस्थान भव्य समारोह का आयेजन करता है, वहीं बे एरिया में तेलुगु एसोसिएशन (बाटा), महाराष्ट्र मंडल और हिंदू स्वयंसेवक संघ संयुक्त रूप से फ्रेमोंट के हिंदू मंदिर में भव्य उत्सव आयोजित करते हैं। गणेशोत्सव को भारत में त्योहारों के मौसम की शुरुआत माना जाता है क्योंकि इसके बाद नवरात्रि, दिवाली और अन्य महत्वपूर्ण पर्व आते हैं।
गणेशोत्सव वैसे तो महाराष्ट्र का मूल त्योहार है लेकिन अब ये भारतीय डायस्पोरा के विस्तार के साथ दुनिया के कोने कोने में अपनी पहुंच बना चुका है। इस त्योहार को 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उस समय प्रमुखता मिली, जब भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए इसे सार्वजनिक उत्सव की तरह मनाना शुरू किया।
गणेश उत्सव के दौरान भक्तजन घरों, मंदिरों और पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी या पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों की स्थापना करते हैं। फूलों, आभूषणों और विविध तरीकों से सजाई गई इन प्रतिमाओं की दैनिक पूजा अर्चना की जाती है। अनुष्ठान होते हैं। भक्तजन मंत्रों का जाप करते हैं। भक्ति गीत गाते हैं। गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाए जाते हैं। भगवान गणेश का पसंदीदा पकवान मोदक होता है जो जीवन में मिठास का प्रतीक है, उनका भोग लगाया जाता है।
लोग बाधाओं को दूर करके सफलता प्राप्ति के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगते हैं। कम्युनिटी सदस्यों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी जाती हैं। उत्सव के अंत में लोग जुलूस के रूप में प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाते हैं। रथ या पालकी में भगवान को विराजमान करके नृत्य संगीत के साथ सवारी निकालते हैं और जल में विसर्जित करके अगले वर्ष आने की कामना करते हैं।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login