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भारतीय अर्थव्यवस्था की तकदीर बदल सकता है जेनरेटिव एआईः रिपोर्ट

अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले सात वर्षों में जेनरेटिव एआई भारत की जीडीपी में 1.2 ट्रिलियन से लेकर 1.5 ट्रिलियन (1500 अरब डॉलर) तक का योगदान दे सकता है।

अगले सात वर्षों में जेनरेटिव एआई भारत की जीडीपी में 1.5 ट्रिलियन तक का योगदान दे सकता है। सांकेतिक Photo by Steve Johnson / Unsplash /

आजकल का दौर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खासकर जेनरेटिव एआई का है। भारत भी इस नई तकनीक को अपनाने में पीछे नहीं है। अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले सात वर्षों में जेनरेटिव एआई भारत की जीडीपी में 1.2 ट्रिलियन से लेकर 1.5 ट्रिलियन (1500 अरब डॉलर) तक का योगदान दे सकता है।

'द एआईडिया ऑफ इंडिया: भारत में डिजिटल बदलाव को रफ्तार देने की जेनरेटिव एआई की क्षमता' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में जेनरेटिव एआई को अपनाने की उद्योग की तैयारियों और चुनौतियों के बारे में आकलन पेश किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत जेन एआई का हर सेक्टर में पूरी तरह इस्तेमाल करे तो वित्त वर्ष 2029-30 तक वह अपनी जीडीपी में 359-438 अरब डॉलर का इजाफा कर सकता है जो कि बेसलाइन जीडीपी से 5.9-7.7 प्रतिशत ज्यादा होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, इसका लगभग 69 प्रतिशत प्रभाव आईटी, लीगल, कंसल्टिंग, आउटसोर्सिंग, मशीनरी व उपकरणों के किराए जैसी कारोबारी सेवाओं और वित्तीय सेवाएं, शिक्षा, रिटेल और हेल्थकेयर में नजर आ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत जेनरेटिव एआई का भरपूर इस्तेमाल करे तो न सिर्फ उसकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी बल्कि उसके कामगारों की प्रोडक्टिविटी, कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि पर्सनल कस्टमर एंगेजमेंट में भी इजाफा होगा।

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