इंग्लैंड की हल (Hull) यूनिवर्सिटी ने अपना 2024 का 'मंदाकिनी झा मेमोरियल प्राइज' घाना के एक छात्र क्वेसी मेंसाह फोकुअर-बेनीन को दिया है। क्वेसी ने इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में MA करके डिस्टिंक्शन हासिल किया है। ये 1049 डॉलर (यानी लगभग 1000 पाउंड) का पुरस्कार है। यह पुरस्कार मंदाकिनी झा की याद में दिया गया है। मंदाकिनी झा यूनिवर्सिटी के पॉलिटिक्स डिपार्टमेंट में पढ़ती थीं। पुरस्कार उनके बेटे तन्मय झा ने दिया।
मंदाकिनी झा ने 1993-94 में यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में MA किया था। उसके बाद वो गुजरात में एक मशहूर समाजशास्त्री बन गईं। उनकी रिसर्च में जाति, बहुसंस्कृतिवाद, लिंग और ज्ञान-सिद्धांत जैसे विषय शामिल थे। सब उन्हें प्यार से 'मैंडी' बुलाते थे। 2021 में ब्रेस्ट कैंसर से उनका निधन हो गया। उनके परिवार ने उनकी याद में ये अवॉर्ड शुरू किया है जिससे उनकी छात्रों को मदद मिल सके।
यह पुरस्कार पाकर क्वेसी मेंसाह फोकुअर-बेनीन बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे ये अवॉर्ड मिलकर बहुत सम्मान और खुशी हो रही है। मुझे सिर्फ पैसे ही नहीं, बल्कि मंदाकिनी झा की याद को शिक्षा के जरिए अमर करने की प्रेरणा भी मिली है। हल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल पॉलिटिक्स का छात्र होने के नाते, मैं दुनिया को बदलने वाले बड़े-बड़े मसलों को समझना चाहता हूं। इस ज्ञान को नीति-निर्माण में इस्तेमाल करना चाहता हूं। ये पुरस्कार मेरी पढ़ाई में, खासकर समुद्री सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भू-राजनीतिक चुनौतियों पर मेरी रिसर्च में बहुत मदद करेगा।'
मंदाकिनी झा मेमोरियल प्राइज पहली बार फरवरी 2023 में दिया गया था। ये अवॉर्ड हिमाचल प्रदेश के पालमपुर की गरुशा कटोच को मिला था। गरुशा ने भी इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में MA किया था। उन्होंने अपने कोर्स में सबसे ज्यादा GPA हासिल किया था और सभी सब्जेक्ट्स में डिस्टिंक्शन मार्क्स लाए थे। उनके डिस्सर्टेशन का टाइटल था, 'क्या भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी लंबे समय तक रहेगी?' इसमें उन्हें 83% मार्क्स मिले थे, जो बहुत ही अच्छा स्कोर है।
गरुशा कटोच ने भी इस सम्मान के लिए शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने कहा, 'मैं मंदाकिनी झा के परिवार की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे इस पुरस्कार के लिए योग्य समझा। ये उपलब्धि मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और इसने मेरी पढ़ाई को और आगे बढ़ाने की मेरी हिम्मत को और मजबूत किया है।'
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