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मुकेश मोदी की 'पॉलिटिकल वॉर' फिल्म का ग्लोबल रिलीज 23 फरवरी को

मुकेश की बनाई यह फिल्म एक पॉलिटिकल ड्रामा है। यह फिल्म इंडी फिल्म इंक के बैनर तले बनी है मगर भारत में सेंसर बोर्ड के कारण रिलीज नहीं हो पाई थी। ग्लोबल रिलीज को लेकर मुकेश का कहना है कि फिल्में ऐसी बनाई जाएं जो जागरूकता पैदा करें और समस्याओं का समाधान पेश करें।

इस फिल्म को भारत के सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दिया था। / Image : X@Mukesh Modi

मुम्बई में जन्मे और अमेरिका में बसे फिल्मकार मुकेश मोदी की जिस फिल्म को भारत के सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दिया था उसका ग्लोबल रिलीज 23 फरवरी को होने जा रहा है। मुकेश की 'पॉलिटिकल वॉर' फिल्म भारत में तो रिलीज नहीं हो पाई अलबत्ता विदेशी सिनेमाघरों में 23 को आ रही है। इसके बाद यह ओटीटी पर भी होगी। 

फिल्म का एक दृश्य। / Image : X@Mukesh Modi

जैसा कि नाम से जाहिर है मुकेश की बनाई यह फिल्म एक पॉलिटिकल ड्रामा है। यह फिल्म इंडी फिल्म इंक के बैनर तले बनी है मगर भारत में सेंसर बोर्ड के कारण रिलीज नहीं हो पाई थी। ग्लोबल रिलीज को लेकर मुकेश का कहना है कि फिल्में ऐसी बनाई जाएं जो जागरूकता पैदा करें और समस्याओं का समाधान पेश करें। 

फिल्म निर्माण में मुकेश मोदी की यात्रा बॉलीवुड की एक घटना से शुरू हुई। फिल्म बनाने को लेकर उनमें जुनून तो था मगर बॉलीवुड में उनका कोई कनेक्शन नहीं था। इसीलिए मुकेश लॉस एंजिल्स आ गये ताकि इस विधा में पारंगत होकर अपनी ही फिल्म बनाई जाए। वे कहते हैं कि मेरी पहली फिल्म द एलीवेटर अमेज़ॅन को बेची गई थी और ओटीटी पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इसी ने मुझे अपनी अगली परियोजनाओं के लिए प्रेरित किया है। 

मुकेश कहते हैं कि फिल्म निर्माण एक अटूट समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव से अलग होने की मांग करता है। भारत की सेंसरशिप अस्वीकृति के झटके के बावजूद वह अपने विश्वास पर दृढ़ हैं कि हरेक प्रोजेक्ट के लिए 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है, भले ही इसका भावनात्मक असर कुछ भी हो। वे कहते हैं कि बेशक मैं इस बात से आहत हूं कि भारत के सेंसर बोर्ड ने मेरा प्रोजेक्ट पास नहीं किया लेकिन मैं अपना अच्छा कर्म करने और बाकी सब भगवान पर छोड़ने में विश्वास करता हूं। इस फिल्म को बनाने के लिए मैंने अपना बहुत कुछ कुर्बान किया है। 

मुकेश कहते हैं कि जब सेंसर बोर्ड आपकी फिल्म खारिज कर देता है तो कई स्तरों पर कई तरह की चुनौतियां आती हैं। मेरा मानना है कि बोर्ड को यह बताना चाहिए कि फिल्म में क्या सुधार या बदलाव करना है। बस, फिल्म को खारिज कर देने का कोई औचित्य नहीं है। बोर्ड को इस बारे में सोचना चाहिए। 

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