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गुजरात में एक ऐसा शिव मंदिर है जो दिन में दो बार 'गायब' हो जाता है, क्या है रहस्य?

पौराणिक कथा के अनुसार, शिव पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर पर विजय प्राप्त करने के बाद स्तंभेश्वर महादेव लिंग की स्थापना की थी। स्कंद पुराण में माही सागर संगम तीर्थक्षेत्र में देवों द्वारा विश्वानंद नामक स्तंभ स्थापित किए जाने का वर्णन है।

यह रोजाना दो बार होता है। यही कारण है कि इसे 'गायब मंदिर' या 'लॉस्ट टेम्पल' भी कहा जाता है। / @rohit_vertex

भारत एक ऐसी जगह है जहां आपको कई अति प्राचीन और गूढ़-अलौकिक रहस्य से भरे मंदिर देखने को मिलेंगे। इनमें से एक गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। एक चीज जो इस मंदिर को अलग करती है, वह है इसका गायब होना। यह रोजाना दो बार होता है। यही कारण है कि इसे 'गायब मंदिर' या 'लॉस्ट टेम्पल' भी कहा जाता है।

गुजरात के जंबूसर में कवि कम्बोई गांव में स्थित मंदिर की जड़ों का पता भगवान कार्तिकेय के नेतृत्व वाले देवों से लगाया जा सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार, शिव पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर पर विजय प्राप्त करने के बाद स्तंभेश्वर महादेव लिंग की स्थापना की थी। स्कंद पुराण में माही सागर संगम तीर्थक्षेत्र में देवों द्वारा विश्वानंद नामक स्तंभ स्थापित किए जाने का वर्णन है।

मंदिर के आसपास की मान्यताएं तारकासुर की कहानी बताती हैं, जो एक राक्षस और भगवान शिव का उत्साही भक्त है। अपने राक्षसी स्वभाव के बावजूद उनकी अटूट भक्ति ने भगवान शिव को प्रसन्न किया। इसके बाद करुणानिधान भगवान शिव उन्हें वरदान दिया।

तारकासुर ने मृत्यु रहित जीवन का वरदान मांगा। तारकासुर ने इस शर्त के साथ यह वरदान ग्रहण किया कि केवल भगवान शिव का छह दिन का पुत्र ही उनका जीवन समाप्त कर सकता है। तारकासुर की कहानी का समापन भगवान शिव की तीसरी आंख की लौ से भगवान कार्तिकेय के अर्विभाव के साथ हुआ, जिन्होंने तारकासुर का वध किया। कुछ मान्यताओं से पता चलता है कि भगवान कार्तिकेय, तारकासुर को दंडित करते समय, उसकी भक्ति से प्रभावित हुए थे। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने उस स्थल पर एक शिवलिंग स्थापित किया।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के आसपास का रहस्य इसके गायब होने के कारण और अधिक रोमांच पैदा करता है। यह समुद्र के किनारे से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है। उच्च ज्वार के दौरान मंदिर जलमग्न हो जाता है, केवल कम ज्वार के दौरान फिर से प्रकट होता है। यह घटना प्रतिदिन दो बार होती है क्योंकि समुद्र का स्तर बढ़ता है और घटता है।

पुरातात्विक रेकॉर्ड के अनुसार मंदिर का गर्भगृह उच्च ज्वार के दौरान पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है, जिससे पानी के ऊपर केवल मंदिर की ऊपरी संरचना दिखाई देती है। यह प्राकृतिक घटना इस प्राचीन पूजा स्थल के आकर्षण और विशिष्टता को बढ़ाती है। दूर-दूर से आगंतुक भक्तों को आकर्षित करती है जो इसके आध्यात्मिक महत्व और प्राकृतिक चमत्कार से मोहित हैं।

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