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अभूतपूर्वः कमला हैरिस ने एक ही महीने में जुटाया 500 मिलियन डॉलर का चुनावी चंदा!

अगर हैरिस के साथ राष्ट्रपति बाइडेन की फंडिंग का आंकड़ा भी जोड़ें तो कुल रकम एक अरब डॉलर तक हो जाती है। कैंपेन मैनजरों का दावा है कि अमेरिका के इतिहास में इतनी तेजी से इतनी ज्यादा चुनावी रकम कभी नहीं जुटाई गई। 

कमला हैरिस ने 21 जुलाई को प्रेसिडेंट नॉमिनी घोषित होने के एक हफ्ते में ही 200 मिलियन डॉलर जुटा लिए थे। / X @VP

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल की कमला हैरिस को लेकर किस कदर उत्साह है, इसका अंदाजा उन्हें मिलने वाले चुनावी फंड से लगाया जा सकता है। सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने दावा किया है कि एक ही महीने में हैरिस ने 500 मिलियन डॉलर की रकम जुटा ली है, जो कि अभूतपूर्व है।

कमला हैरिस 21 जुलाई को राष्ट्रपति पद की रेस में उतरी थीं। डेमोक्रेटिक नॉमिनी घोषित होने के पहले ही हफ्ते में उनके अभियान ने 200 मिलियन डॉलर का फंड जुटा लिया था। जुलाई के महीने का आंकड़ा देखें तो उनकी टीम ने 310 मिलियन डॉलर की रकम इकट्ठा की थी। 

अगर हैरिस के साथ राष्ट्रपति बाइडेन की फंडिंग का आंकड़ा भी जोड़ दें तो कुल रकम एक अरब डॉलर तक हो जाती है। पार्टी कैंपेन मैनजरों का दावा है कि अमेरिका के चुनावी इतिहास में इतनी तेजी से इतनी ज्यादा रकम कभी नहीं जुटाई गई है। 

वहीं दूसरी तरफ रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प की फंडिंग देखें तो उनकी टीम के मुताबिक, जुलाई में 138.7 मिलियन डॉलर की रकम इकट्ठा हुई थी। इसे मिलाकर उनके पास 327 मिलियन डॉलर की कुल फंडिंग है। गौर करने की बात ये भी है कि दूसरी तिमाही में ट्रम्प ने फंडिंग में बाइडेन को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन हैरिस के मैदान में आने के बाद हालात बदल गए हैं। 

कमला हैरिस के प्रति लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। इसका असर उनकी चुनावी फंडिंग में भी नजर आ रहा है। जुलाई में हैरिस के पास 377 मिलियन डॉलर का कैश इन हैंड था। अगस्त में भी उन्हें सपोर्ट करने के लिए जेब खाली करने वालों की कतार लगी हुई है। उनकी रैलियों में पूरे देश भर से लोग आ रहे हैं और छोटी-छोटी रकम दे रहे हैं। 

पिछले चुनाव को देखें तो साल 2020 में बाइडेन की कैंपेन कमिटी ने 1.04 अरब डॉलर की कुल फंडिंग जमा की थी। ओपन सीक्रेट्स की रिपोर्ट में आगे जानकारी देते हुए बताया गया है कि इसमें अगर बाहरी ग्रुप्स को जोड़ दें तो कुल रकम 1.62 अरब डॉलर थी। ओपन सीक्रेट्स चुनावी चंदे पर नजर रखता है। 


 

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