हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ट्रम्प प्रशासन के बीच जंग छिड़ गई है। 2.3 अरब डॉलर की फंडिंग रोकने के बाद हार्वर्ड ने 14 अप्रैल ट्रम्प प्रशासन पर फेडरल पावर का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है और साफ कर दिया है कि वो झुकने वाला नहीं है। हार्वर्ड ने कहा कि ये महज पैसे का मामला नहीं, बल्कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की आजादी की लड़ाई है।
हार्वर्ड के वकीलों ने एजुकेशन डिपार्टमेंट को लिखे तीखे अंदाज के खत में एडमिनिस्ट्रेशन की मांगों को ठुकरा दिया। इन मांगों में उनके डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन (DEI) प्रोग्राम्स को खत्म करना और स्टूडेंट प्रोटेस्ट्स पर सख्ती बढ़ाना शामिल था।
लेटर में साफ लिखा है, 'हार्वर्ड हो या कोई और प्राइवेट यूनिवर्सिटी, कोई भी खुद को फेडरल गवर्नमेंट के कब्जे में नहीं आने दे सकती।' 14 अप्रैल को एजुकेशन डिपार्टमेंट ने फंडिंग रोकने का ऐलान किया। ये ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन और हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स के बीच चल रही लड़ाई का नया मोड़ है।
7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजराइल पर हमले और उसके बाद हुई जंग के बाद कॉलेज कैंपसों में हुए फिलिस्तीन समर्थक प्रोटेस्ट्स के बाद से ये टकराव चल रहा है। प्रशासन का आरोप है कि ये यूनिवर्सिटीज एंटीसेमिटिज्म को बढ़ावा दे रही हैं और लेफ्ट-लीनिंग आइडियोलॉजीज को प्रमोट कर रही हैं।
पिछले महीने एडमिनिस्ट्रेशन ने चेतावनी दी थी कि वो हार्वर्ड को दिए गए तकरीबन 9 बिलियन डॉलर के फेडरल कॉन्ट्रैक्ट्स और ग्रांट्स की समीक्षा कर रही है। उन्होंने इसे एंटीसेमिटिज्म पर कार्रवाई का हिस्सा बताया। लेकिन हार्वर्ड का कहना है कि असली मुद्दा अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की आजादी का है। हार्वर्ड ने अपने कम्युनिटी को भेजे एक बयान में लिखा, 'हालांकि सरकार की कुछ मांगें एंटीसेमिटिज्म से लड़ने से जुड़ी हैं, लेकिन अधिकतर मांगें हार्वर्ड के 'इंटेलेक्चुअल कंडीशन्स' पर सीधा सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाली हैं।'
लेटर में आगे लिखा है, 'हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इस बात पर बातचीत करने को तैयार है कि यूनिवर्सिटी ने अपने हर सदस्य के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए क्या किया है और क्या करने की योजना बना रही है। लेकिन हार्वर्ड उन मांगों को मानने को तैयार नहीं है जो इस या किसी भी एडमिनिस्ट्रेशन के वैधानिक अधिकार से परे हैं।'
यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट एलन गारबर ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ शब्दों में कहा, 'किसी भी सरकार को ये तय करने का हक नहीं है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटीज क्या पढ़ा सकती हैं, किसे एडमिट और हायर कर सकती हैं और किस क्षेत्र में रिसर्च और पढ़ाई कर सकती हैं।' हार्वर्ड ने इसके खिलाफ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। बयान में लिखा है, 'एंटीसेमिटिज्म और किसी भी तरह का भेदभाव न सिर्फ घृणित और हार्वर्ड के मूल्यों के विपरीत है, बल्कि इसके शैक्षणिक मिशन के लिए भी खतरा है।'
इस टकराव की गूंज शिक्षा जगत से बाहर भी सुनाई दे रही है। वरमोंट के सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने एक्स पर लिखा, 'ट्रम्प के अथॉरिटेरियन रवैये के आगे अपने संवैधानिक अधिकारों को नहीं झुकने के लिए हार्वर्ड बधाई का पात्र है। दूसरी यूनिवर्सिटीज को भी इसकी तर्ज पर काम करना चाहिए। ट्रम्प के लिए मुफ्त में काम करने की बजाय, कायर वकीलों को उन लोगों का बचाव करना चाहिए जो कानून के शासन में विश्वास रखते हैं।'
हार्वर्ड का ये रुख कुछ हफ्तों पहले ही कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फैसले के बाद आया है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने एडमिनिस्ट्रेशन की इसी तरह की मांगों के आगे घुटने टेक दिए थे। उन्होंने अपने विभागों में बदलाव करने और नए कंप्लायंस मेजर्स की देखरेख के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने पर सहमति जताई थी। ऐसा बताया जा रहा है कि 400 मिलियन डॉलर की फेडरल फंडिंग बचाने के लिए उन्होंने ये किया।
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