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पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर अमेरिका का बयान इसलिए भारत को रास नहीं आया

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'भारत कई अन्य देशों की तरह अपनी 'रणनीतिक स्वायत्तता' को महत्व देता है। जाहिर है, हमारे अलग-अलग विचार हैं। अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का अधिकार है।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जुलाई को क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक मीटिंग में शांति के महत्व पर जोर दिया। / X-@narendramodi

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के बाद से अमेरिका लगातार भारत को लेकर तमाम तरह की बयानबाजी कर रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता पर की गई टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ये टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा के बाद आई है। इसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी मुलाकात हुई थी। गार्सेटी ने 12 जुलाई को CUTS इंटरनेशनल द्वारा आयोजित रक्षा समाचार सम्मेलन में कहा था कि संघर्ष के समय रणनीतिक स्वायत्तता मायने नहीं रखती।

भारत लगातार अपने देश की स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देता रहा है। स्वाभाविक है कि गार्सेटी का यह बयान भारत को रास नहीं आया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत कई अन्य देशों की तरह अपनी 'रणनीतिक स्वायत्तता' को महत्व देता है। जायसवाल ने कहा, 'अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का अधिकार है। जाहिर है, हमारे अलग-अलग विचार हैं। अमेरिका के साथ हमारी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी हमें कुछ मुद्दों पर असहमति रखने का मौका देती है, जबकि एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करते हैं।'

भारत अमेरिका के संबंधों पर रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक, वैश्विक साझेदारी है। दोनों देशों के पास चर्चा करने के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं। दोनों पक्षों के बीच कई विषयों पर एक-दूसरे के साथ बातचीत होती रही है। जो भी एक-दूसरे के हित में है, उस मुद्दे पर चर्चा की जाती है। राजनयिकों के बीच बातचीत की जानकारी देना हमारी कार्य प्रणाली नहीं है।’

गार्सेटी की टिप्पणियां मोदी के पुतिन को गले लगाते हुए तस्वीरें सामने आने के बाद आई हैं, जिसने कई पश्चिमी देशों में बेचैनी पैदा कर दी थी। गार्सेटी ने सम्मेलन के दौरान कहा था कि 'मैं सम्मान करता हूं कि भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता पसंद करता है। लेकिन संघर्ष के समय, कोई भी रणनीतिक स्वतंत्रता नहीं होती है।'

गार्सेटी ने वैश्विक संघर्षों के आपसी संबंध पर जोर देते हुए कहा था कि, 'अब कोई भी युद्ध दूर नहीं है, और हमें सिर्फ शांति के लिए खड़े नहीं रहना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए कि जो लोग शांतिपूर्ण नियमों का पालन नहीं करते हैं, उनकी युद्ध मशीनें बिना रोक-टोक के चलती रहें, ऐसा न हो। यह कुछ ऐसा है जो अमेरिका को जानने की जरूरत है और भारत को भी साथ मिलकर जानने की जरूरत है।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जुलाई को क्रेमलिन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक मीटिंग में शांति के महत्व पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि शांति 'अत्यंत महत्वपूर्ण' है। यूक्रेन में युद्ध का समाधान 'युद्ध के मैदान में नहीं' मिल सकता है। मोदी से पहले बोलते हुए, पुतिन ने रूस और भारत के बीच 'विशेष रणनीतिक साझेदारी' की प्रशंसा की और संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए मोदी के प्रयासों की सराहना की।

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