हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) नाम की संस्था ने अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठाने वाले अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों, रिसर्चर्स और ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को निशाना बनाने की निंदा की है। 21 मार्च को जारी बयान में संगठन ने इन स्कॉलर्स की गिरफ्तारी, वीजा रद्द करने और देश निकाला के खतरों की निंदा करते हुए इसे बोलने की आजादी पर हमला और राजनीतिक विरोध को कुचलने की कोशिश बताया है।
इस कार्रवाई में महमूद खलील, लिक्का कोर्डिया, बदर खान सूरी, और रजनी श्रीनिवासन जैसे लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें से दो भारतीय मूल के हैं और उनका वीजा अचानक रद्द कर दिया गया और उन्हें हिरासत में भी लिया गया। HfHR का कहना है कि ये सब इमीग्रेशन लॉ को लागू करने की बात नहीं, बल्कि विरोध को दबाना और अपराधी ठहराना है।
HfHR के आउटरीच डायरेक्टर प्रणय सोमयजुला ने कहा, 'ये सिर्फ फिलिस्तीन के बारे में नहीं है। ये एक सोची-समझी कोशिश है कि सरकार सत्ता के खिलाफ किसी तरह के विरोध को कितना अपराध बना सकती है। अगर वे फिलिस्तीन के समर्थन को दबाने में कामयाब हो गए, तो यही तरीके वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर भी इस्तेमाल करेंगे।'
संगठन ने इमीग्रेशन कानूनों का इस्तेमाल राजनीतिक एक्टिविज्म को कुचलने के लिए बढ़ते हुए इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की है। खासकर उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो फिलिस्तीन के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं। HfHR ने हिरासत में लिए गए स्कॉलर्स, जिसमें बदर खान सूरी और महमूद खलील भी शामिल हैं, को तुरंत रिहा करने और रद्द किए गए वीजा को बहाल करने की मांग की है।
HfHR ने मीडिया के कुछ लोगों पर भी इस कार्रवाई को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'हम उन दक्षिणपंथी हिंदू अतिवादी मीडिया के लोगों और ऑनलाइन अकाउंट्स से खास तौर पर नाराज हैं जिन्होंने न सिर्फ इन हमलों में हिस्सा लिया है, बल्कि एक रिएक्शनरी एजेंडा की सेवा में अपने ही व्यापक समुदाय के सदस्यों को बलि का बकरा बना रहे हैं।'
HfHR ने अपने बयान में चेतावनी दी है कि स्कॉलर्स (खासकर दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व) पर वीजा प्रतिबंध बढ़ाने से विचारों के मुक्त आदान-प्रदान को खतरा है जो कि शैक्षणिक जीवन के लिए बहुत जरूरी है। HfHR ने बताया कि कुछ अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर्स को अमेरिका पहुंचते ही अचानक वीजा रद्द कर दिया गया और बिना किसी उचित प्रक्रिया के उन्हें देश निकाला दिया गया।
बयान में कहा गया है, 'अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही शैक्षणिक माहौल पनपता है। ये वीजा रद्द करने से न सिर्फ व्यक्तियों को नुकसान होता है, बल्कि उस भरोसे को भी कमजोर किया जाता है जिस पर संयुक्त शोध, सीमा पार सम्मेलन और वैश्विक छात्रवृत्ति टिकी होती है।' संगठन ने ऐसी नीतियों के व्यापक प्रभावों की ओर इशारा किया और तर्क दिया कि आज विरोध को दबाने से कल शैक्षणिक स्वतंत्रता और राजनीतिक भाषण पर व्यापक हमले का रास्ता साफ हो सकता है।
HfHR ने विश्वविद्यालयों, पेशेवर संगठनों और नागरिक समाज के समूहों से शैक्षणिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। संगठन ने गलत तरीके से रद्द किए गए वीजा को बहाल करने और निष्पक्ष आव्रजन नीतियों की मांग की जो स्कॉलर्स को उनके राजनीतिक विचारों के आधार पर निशाना न बनाएं।
बयान के कहा गया है, 'हमारा मानना है कि सच्चा लोकतंत्र तब पनपता है जब विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है। हम सभी धर्मों और पृष्ठभूमि के समुदायों से उन लोगों के साथ एकजुटता में खड़े होने का आह्वान करते हैं जिन्हें इन अन्यायपूर्ण उपायों द्वारा निशाना बनाया गया है। न केवल बोलने की स्वतंत्रता के रूप में, बल्कि फिलिस्तीन में न्याय के लिए वैश्विक आंदोलन के हिस्से के रूप में।'
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