इन दिनों सोशल मीडिया पर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ नस्लवाद और नफरत फैलाने वाले बयान तेजी से बढ़ रहे हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी नई सरकार में कई भारतीय-अमेरिकियों को अहम पदों पर नियुक्त किया है। ऐसे में कॉमेडियन राजीव सत्याल ने एक वीडियो जारी किया है जो बिलकुल मौजूदा हालात से जुड़ा हुआ है।
वीडियो का टाइटल है, ‘आई एम इंडियन अमेरिकन’। सत्याल ने वीडियो की शुरुआत ह्यूमर और गर्व, दोनों के साथ की है। उन्होंने इंडियास्पोरा की रिपोर्ट के आधार पर काफी चौंकाने वाले आंकड़े और भारतीय-अमेरिकियों की उपलब्धियों के बारे में एक प्रभावशाली मोनोलॉग पेश किया है। सत्याल ने ये वीडियो 29 जनवरी को ऑनलाइन डाला था। तब से अब तक इसे 100,000 से ज्यादा लोग देख चुके हैं।
दुनिया में सबसे बड़ा डायस्पोरा भारतीयों का ही है और उनमें भी इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी सबसे कामयाब समुदाय में से एक है। 2023 तक इनकी तादाद 51 लाख है जो अमेरिका की आबादी का 1.5% है। ये लोग अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी मजबूत मौजूदगी दिखा रहे हैं। सत्याल मजाकिया अंदाज में कहते हैं, 'हमारे पास सबसे ज्यादा डॉक्टर्स और फॉर्च्यून 500 के सीईओ हैं। हमने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और यहां तक कि वर्ल्ड बैंक जैसी कंपनियों का नेतृत्व किया है।'
इंडियास्पोरा की रिपोर्ट, ‘स्मॉल कम्युनिटी, बिग कॉन्ट्रीब्यूशन्स’ के मुताबिक, 16 फॉर्च्यून 500 कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं। इनमें गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई से लेकर वर्टेक्स फार्मास्युटिकल्स की सीईओ रेशमा केवलरमानी तक शामिल हैं। पिचाई पहली बार अमेरिका स्टैनफोर्ड जाने के लिए प्लेन में सफर किए थे, जबकि रेशमा 12 साल की उम्र में अमेरिका आईं और बोस्टन यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की पढ़ाई की।
कॉरपोरेट अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों का योगदान बहुत बड़ा है। साथ ही सरकार और पब्लिक सर्विस में भी इनका काफी प्रभाव है। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल से पहले 150 से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी उच्च प्रशासनिक पदों पर काम कर रहे थे, जो कुल पदों का 6.2% था। कमला हैरिस, जिनकी मां भारत से हैं, 2021 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाली पहली महिला बनीं। ये एक बड़ा इतिहास है।
सत्याल वीडियो में मजाकिया लहजे में कहते हैं, 'राजनीति में हम डेमोक्रेट हैं क्योंकि हम अल्पसंख्यक हैं, लेकिन हम रिपब्लिकन भी हैं क्योंकि हम अमीर हैं।'
सत्याल कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वो ये न भूलें कि वो अपनी मर्जी से आए हुए प्रवासी हैं, मजबूरी से नहीं। वो कहते हैं, 'इसलिए, बड़े अधिकार के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है और हमने हॉलीवुड और दूसरे क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव दिखाया है। हमारा सितारा चमक रहा है। मिंडी कॉलिंग और हसन मिन्हाज से लेकर ग्रैमी विनर्स और मिशेलिन स्टार वाले शेफ तक, भारतीय मूल के कलाकार और एंटरटेनर्स अपना लोहा मनवा रहे हैं। पूरे देश में 6,000 से ज्यादा भारतीय रेस्टोरेंट हैं। दिवाली और होली जैसे त्योहार अब आम तौर पर मनाए जाने लगे हैं। भारतीय-अमेरिकी परिवार सालाना लगभग 1.5 से 2 बिलियन डॉलर अमेरिका और भारत दोनों में परोपकारी कार्यों में दान करते हैं।'
सत्याल ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, 'कुल मिलाकर, हम दुनिया के इतिहास के किसी भी समूह से बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। भारतीय-अमेरिकी कहानी है कामयाबी, हुनर और हिम्मत की। हम दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों की देन हैं। जैसे-जैसे हमारा प्रभाव बढ़ रहा है, हमारा योगदान सिर्फ अमेरिका को ही नहीं, बल्कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच के रिश्ते को भी मजबूत कर रहा है। सत्याल के शब्दों में, 'आइये अपने घर और अपनी मातृभूमि को सलाम करें, मैं इंडियन अमेरिकन हूं।'
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