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अमेरिका और भारत में 'अवैध' के खिलाफ

क्या भारत में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान नहीं चल रहा? क्या उनको वापस नहीं भेजा जा रहा? अगर हां, तो अमेरिका में भी यही हो रहा है।

सांकेतिक तस्वीर / Image : NIA

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के कार्यकारी आदेशों के बाद वैसे तो दुनियाभर में भारी हलचल है लेकिन इनसे तमाम प्रवासियों और खासकर भारतीय प्रवासियों के बीच खलबली है। H-1B वीजा और जन्मसिद्ध नागरिकता से जुड़े 'फरमान' न केवल प्रवासी भारतीयों बल्कि प्रवास की चाहत रखने वालों और अमेरिका में स्थायी नागरिकता की हसरत पालने वालों पर किसी चाबुक की तरह पड़ रहे हैं। ट्रम्प के चुनावी वायदों के मुताबिक ऐसा होना ही था और उनके राष्ट्रपति चुने जाने के बाद तय भी हो गया था। यानी जो अब हो रहा है वह एक तरह से 5 नवंबर से ही अपरिहार्य हो गया था। लेकिन तब से शपथ ग्रहण तक (ढाई महीना) वे तमाम लोग जिनकी हम यहां बात कर रहे हैं आशा और निराशा के बीच झूल रहे थे। उनकी उम्मीद को काल्पनिक भी कह सकते हैं लेकिन भारत से अच्छे संबंध शायद इस कल्पना का आधार थे। दूसरा ट्रम्प समर्थक और अब उनके प्रशासन का हिस्सा इलोन मस्क के रुख ने भी उम्मीदों पर राहत का मरहम लगाया क्योंकि मस्क H-1B के खिलाफ नहीं रहे। मस्क के कारण ही ट्रम्प के रुख में भी नरमी आई, ऐसा कह सकते हैं। फिर कुछ समय पहले और शपथ ग्रहण से काफी पहले नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने भी इस वीजा कार्यक्रम पर सकारात्मक रुख दिखाया। इससे भारतीय राहत महसूस करने लगे।

लेकिन दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही राष्ट्रपति ट्रम्प ने जो आदेश जारी किये उनसे प्रवासियों की सारी उम्मीदें फिर ध्वस्त हो गईं। एक ही उदाहरण यहां काम करेगा कि राष्ट्रपति ट्रम्प की पहली बड़ी घोषणा से भारत के 2 राज्यों, हरियाणा और पंजाब, में करीब 2 लाख युवाओं के वीजा अटक गये हैं। ये लोग अवैध रूप से अमेरिका में जा पहुंचे थे और शरण के इंतजार में थे। ताजपोशी के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने साफ तौर पर कहा कि इन अवैध आप्रवासियों को अमेरिका से खदेड़ा जाएगा। जाहिर है कि इस तरह के और भी कई मामले होंगे और हैं जो समय के साथ सामने आएंगे। इसी बीच ट्रम्प ने इस वीजा कार्यक्रम का समर्थन किया भी किया है और इसे जारी रखने का संकेत दिया है। इससे एक बार फिर भारतीय खुश हैं क्योंकि इस कार्यक्रम का सर्वाधिक लाभ उठाने वाला वर्ग यही है। लिहाजा आशा की बयार फिर बह रही है। 

जहां तक H-1B कार्यक्रम की बात है तो अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प का आदेश दरअसल अवैध के खिलाफ है। और जो अवैध है उसके खिलाफ कोई भी प्रशासन या प्रशासक काम करेगा, करना चाहिए। कार्यक्रम को एक तरफ कर दें तब भी मस्क ने हमेशा से यही कहा कि वे प्रतिभाओं को बुलाने के पक्षधर हैं। यही बात वह अब भी कह रहे हैं और अगर राष्ट्रपति ट्रम्प के आदेश पर गौर करें तो उसका मतलब भी यही है। वे भी सक्षम लोगों के अमेरिका आने के विरोध में नहीं हैं। उनको केवल 'अवैध' को खत्म करना है। लिहाजा वीजा का पूरा मामला अवैध के खिलाफ है न कि वैध के विरोध में। काबिल, प्रतिभाशाली और वैध आधार पर प्रवेश अमेरिका में अब भी खुला है और खुला रहेगा क्योंकि उससे किसी को इनकार नहीं है। जाहिर है कि प्रतिभाओं के दम पर ही अमेरिका 'फिर से महान' बन सकता है और इसके लिए H-1B को खत्म नहीं किया जा सकता। क्या भारत में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान नहीं चल रहा? क्या उनको वापस नहीं भेजा जा रहा? अगर हां, तो अमेरिका में भी यही हो रहा है।

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