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‘अमेरिका फर्स्ट का मतलब अमेरिका अकेला’ नहीं: रायसीना डायलॉग में गैबार्ड

अमेरिकी खुफिया प्रमुख ने नई दिल्ली में कहा कि जो संबंध हम बनाते हैं वे हमारे आपसी हितों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और यही कारण है कि रायसीना जैसे सम्मेलनों का आयोजन आवश्यक है।

रायसीना डायलॉग 2025 में संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड / स्क्रीनशॉट/ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में मुख्य भाषण दिया। भारत की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका साझेदारी की स्थायी मजबूती पर चर्चा की और कहा कि अमेरिका फर्स्ट का मतलब अमेरिका अकेला नहीं है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को अलगाववाद से जोड़कर देखे जाने की चिंताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि हर नेता चाहे वह नरेंद्र मोदी हों या न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन अपने देश के हितों को प्राथमिकता देते हैं लेकिन इससे साझेदारियां प्रभावित नहीं होतीं।

गैबार्ड ने आगे कहा कि जो संबंध हम बनाते हैं वे हमारे आपसी हितों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और यही कारण है कि रायसीना जैसे सम्मेलनों का आयोजन आवश्यक हैउन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका उन रणनीतिक साझेदारियों को महत्व देता है जो शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बनाए रखती हैं।

गैबार्ड ने अपने भाषण की शुरुआत अलोहा और नमस्ते से की थी। उन्होंने बताया कि ये दोनों अभिवादन गहरे अर्थ रखते हैं।

भारत-अमेरिका संबंध

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चली आ रही मित्रता को दोहराते हुए गैबार्ड ने भारत के समृद्ध इतिहास और उसकी गतिशील लोकतांत्रिक व्यवस्था को द्विपक्षीय संबंधों की मजबूत नींव बताया। उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में व्हाइट हाउस में जारी किए गए संयुक्त बयान के बाद संबंधों में आए सकारात्मक बदलाव पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि हमारे दोनों देशों के बीच साझेदारी दशकों से मजबूत रही है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शांति, स्वतंत्रता, सुरक्षा और समृद्धि के हमारे साझा मूल्यों पर आधारित यह मित्रता और आगे बढ़ेगी

वैश्विक संघर्षों पर चिंता

गैबार्ड ने वैश्विक अस्थिरता पर भी चिंता जताई और दुनिया भर में बढ़ते युद्ध और संघर्षों का उल्लेख किया। उन्होंने डूम्सडे क्लॉक (कयामत की घड़ी) का हवाला देते हुए कहा कि यह 89 सेकंड शेष दर्शा रही है जो यह संकेत देता है कि मानवता एक बड़े संकट के कितनी करीब है। दुर्भाग्यवश हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध और संघर्ष चल रहे हैं

गैबार्ड ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी के 1963 के भाषण को उद्धृत करते हुए कहा कि शांति कोई असंभव सपना नहीं है बल्कि यह कुछ ठोस कदमों और सभी संबंधित पक्षों के हित में प्रभावी समझौतों की आवश्यकता है। मनुष्य की बुद्धि और आत्मा ने अक्सर असंभव को संभव बनाया है। हमें विश्वास है कि वे फिर ऐसा कर सकते हैंगैबार्ड ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की ट्रंप की प्रतिबद्धता का भी बचाव किया और कहा कि ट्रंप की विदेश नीति का उद्देश्य संघर्ष को खत्म करना है, न कि उन्हें बढ़ावा देना।

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