बांग्लादेश में इस्कॉन संत चिन्मय प्रभु दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी और जमानत न मिलने को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठने लगी है। कुछ छात्र संगठनों ने इसे लेकर प्रदर्शन भी किया है। बुधवार को हाई कोर्ट ने यूनुस सरकार से पूछा है कि वे हिंदू धार्मिक संगठन इस्कॉन और उसकी गतिविधियों को लेकर उठाए गए कदमों के संबंध में स्थिति स्पष्ट करे।
बांग्लादेश हाई कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और संभावित अशांति को रोकने के लिए चटगाँव और रंगपुर में धारा 144 लगाने की मांग की गई है। यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ बांग्लादेश (यूएनबी) के अनुसार, अदालत ने अटॉर्नी जनरल असदुज्जमां को गुरुवार तक सरकार का रुख पेश करने का निर्देश दिया है।
चटगांव हिंसा में कम से कम 6 लोगों की गिरफ्तारी
इस बीच, चटगांव पुलिस ने अधिवक्ता सैफुल इस्लाम की मौत में शामिल होने के संदेह में कम से कम छह लोगों को गिरफ़्तार किया है। यह घटना उस समय हुई जब पुलिस ने सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता चिन्मय प्रभु को जेल ले जाने का प्रयास किया था। आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि मंगलवार को चटगांव अदालत परिसर में हुई झड़प के दौरान तोड़फोड़ और कानून प्रवर्तन पर हमले में कथित संलिप्तता के लिए 21 अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है।
इस्कॉन पुंडरीक धाम के चिन्मय कृष्ण दास और बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आठ सूत्री मांग जारी करते हुए, पूरे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों और सुरक्षा की वकालत कर रहे हैं। चिन्मय प्रभु को सोमवार को ढाका पुलिस ने एयरपोर्ट पर उस समय गिरफ्तार किया जब वह चटगांव के लिए उड़ान भरने वाले थे। इसके बाद मंगलवार को उन्हें “राजद्रोह” के मामले में चटगांव कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और न्यायिक हिरासत का आदेश दिया।
चिन्मय प्रभु दास के समर्थकों से पुलिस की झड़प
अदालत के फ़ैसले के बाद चिन्मय प्रभु के सैकड़ों समर्थकों ने उन्हें ले जा रही पुलिस वैन को घेर लिया और उसे एक घंटे से ज़्यादा समय तक रोके रखा। सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल करके भीड़ को तितर-बितर किया।
गौरतलब है कि चिन्मय प्रभु और 18 अन्य के खिलाफ 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। आरोप 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदिघी मैदान में एक सार्वजनिक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के आरोप से जुड़े हैं।
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