वे दोनों अपने एक समान मित्र की पार्टी में मिले थे और 18 वर्षीय शाहरुख खान तुरंत नौवीं कक्षा की लोरेटो कॉन्वेंट की छात्रा गौरी छिब्बर पर अपना दिल खो बैठे। मगर तब गौरी किसी और लड़के के 'साथ' थीं। आख़िरकार शाहरुख ने उनसे डांस के लिए पूछने का साहस जुटाया तो सुंदर सी स्कूली छात्रा ने दिल तोड़ दिया। गौरी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि 'मैं अपने प्रेमी की प्रतीक्षा कर रही हूं।'
बाद में शाहरुख को पता चला कि उनका 'प्रेमी' वास्तव में 'उनका भाई' था। पर फिर भी गौरी शाहरुख के साथ दिल्ली के पंचशील क्लब में जाने के लिए तैयार हो गईं। जब गौरी से महज डेढ़ साल बड़े भाई विक्रांत को यह पता चला तो वह उनकी नजदीकियों को खत्म करना चाहता था। विक्रांत ने शाहरुख को कई बार धमकी दी, लेकिन जोड़ा करीब आता गया।
एक बार विक्रांत ने शाहरुख पर बंदूक भी तान दी थी लेकिन फिर भी वह शाहरुख को अपने सपनों की राजकुमारी से दूर नहीं रख सका। गौरी के माता-पिता, सविता और कर्नल रमेश चंद्र छिब्बर बेटी की पसंद से नाखुश थे। गौरी के घरवाले एक रूढ़िवादी, पंजाबी, हिंदू परिवार से आते थे और उनके घर में एक मंदिर भी था। उन्हें उस मुस्लिम लड़के की कोई परवाह नहीं थी जिसने अपने पिता को कैंसर के कारण उस समय खो दिया था जब वह केवल 15 वर्ष का था। उसका पालन-पोषण उसकी मां ने किया था, जिसकी वह पूजा करता था। गौरी के घरवाले को शाहरुख के पहले प्यार यानी अभिनय की परवाह भी क्यों होनी थी। उन्होंने अपनी बेटी को अनिश्चित भविष्य वाले लड़के को सौंपने से इनकार कर दिया।
फिर कुछ ऐसा भी हुआ कि गौरी ने ही शाहरुख से नाता तोड़ लिया क्योंकि वह अपने परिवार के प्रति वफादारी और एक ऐसे शख्स के प्रति अपने प्यार के बीच उलझी हुई थीं जो उनके आराम के लिए कुछ ज्यादा ही पजेसिव हो रहा था। वह उसे सफेद शर्ट पहनने नहीं देता था क्योंकि उसे लगता था कि आप उससे आर-पार देख सकते हैं। वह उसे खुले बाल नहीं रखने देता था। वह उसे दूसरे लड़कों, यहां तक कि उसके दोस्तों से भी बात नहीं करने देता था। बाद में शाहरुख ने सिमी गरेवाल के शो रान्डिवू में स्वीकार किया कि चूंकि उन्हें रडार में रहना था, इसलिए वह एक पहरेदार की तरह व्यवहार करते थे।
शाहरुख के साथ अपना जन्मदिन मनाने के एक दिन बाद गौरी कुछ दोस्तों के साथ बॉम्बे (अब मुंबई) चली गईं। कुछ दिनों तक यूं ही गुजरी। फिर शाहरुख की मां ने उसे कुछ पैसे दिए और अपने प्यार को तलाशने की बात कही। शाहरुख ने गौरी को मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से हाजी अली तक खोजा, यह विश्वास करते हुए कि शहर यहीं समाप्त होता है। जब पैसे खत्म हो गए तो वे ताज महल होटल के बाहर बेंचों पर बंक मारने लगे। एक बार तो शाहरुख की 'आवारगी' पर एक पुलिस वाले ने खूब खिंचाई की। तब शाहरुख के दोस्तों ने उससे कहा कि अब हुत हो गया- छोड़ दो तलाश। शाहरुख भी हताश थे।
उन्होंने अपने बचे हुए पैसे से एक टैक्सी किराये पर ली और ड्राइवर (सरदारजी) से पूछा कि क्या चौपाटी के अलावा बंबई में कोई अन्य समुद्रतट है। ड्राइवर ने कई नाम बताए। तब शाहरुख ने सरदारजी से कहा कि वह उसे वहां ले जाएं जहां का समुद्र गौरी को पसंद था। आखिरकार सरदारजी शाहरुख को गोराई बीच ले गये जहां गौरी कुछ दोस्तों के साथ पार्टी कर रही थीं। दोनों ने एक-दूसरे को देखा लेकिन कोई खुश नहीं हुआ। क्योंकि गौरी तो दोनों के बीच कुछ दूरी बनाने के लिए बंबई आई थीं। लेकिन शाहरुख डटे रहे। इस ब्रेक ने यह साबित कर दिया था कि वह लड़की उसी के लिए है। गौरी ने यह भी स्वीकार किया कि उसे उसकी कमी महसूस होती थी। फिर सिलसिला वहीं से चला जहां से छूट गया था।
लेकिन 22 साल की उम्र में गौरी शादी के लिए तैयार नहीं थीं। उन्होंने कई बार शादी से इनकार किया। लेकिन आख़िरकार वह मान गईं और शाहरुख के प्रस्ताव के लिए हां कह दी। शाहरुख खुश थे लेकिन उनको अभी भी गौरी के माता-पिता का दिल जीतना था क्योंकि दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में राज और सिमरन की तरह उन्होंने भी भागने से इनकार कर दिया था। अंत में 23 अक्टूबर 1991 को शाहरुख बैंड, बाजा, बारात के साथ आए और आठ साल की प्रेम कहानी रिश्ते में बदल गई। सालों बाद उन्होंने एक फैन से कहा था- 'भाई लव और लक कभी भी आ जाते हैं।
बीते 33 साल से शाहरुख और गौरी साथ हैं। पिछले साल 20 फरवरी को X पर प्रशंसकों के साथ एक संवाद सत्र के दौरान जब शाहरुख से उनके विवाहित जीवन का रहस्य पूछा गया तो शाहरुख ने कहा- गौरी का दिल और दिमाग सबसे सरल है। उन्होंने हम सभी को बनाए रखा है। परिवार और प्यार की अच्छाई में उनका विश्वास है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login