अमेरिका के एरिजोना में दो भारतीय नागरिकों पर राष्ट्रव्यापी घोटाले में आरोप तय किए गए हैं। इनके नाम अहमद मकबूल सैयद (57) और रूपेश चंद्र चिंताकिंडी (27) हैं। इन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं।
एरिज़ोना जिले के अटॉर्नी कार्यालय ने एक बयान में बताया कि इन दोनों पर ''टेक सपोर्ट' स्कीम के जरिए फ्रॉड से प्राप्त आय को वैध बनाने की साजिश का आरोप है। इसका मुकदमा टक्सन की फेडरल संघीय ग्रैंड जूरी में चल रहा है।
सैयद, चिंताकिंडी और अन्य लोगों पर आरोप है कि उन्होंने एरिज़ोना समेत पूरे अमेरिका में बुजुर्गों से बड़ी मात्रा में रकम वसूली, सोना खरीदा और गिफ्ट कार्ड खरीदवाए और धोखाधड़ी की, मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रची। सैयद पर वायर फ्रॉड की साजिश का एक अलग आरोप लगाया गया है।
इस घोटाले की शुरुआत पीड़ितों के कंप्यूटरों पर एक पॉप-अप से होती थी जिसमें झूठा दावा किया जाता था कि उनका सिस्टम हैक कर लिया गया है। लोगों को तथाकथित फ्रॉड टेक एक्सपर्ट या सरकारी प्रतिनिधियों से विश्वास दिलाया जाता था कि उनके अकाउंड में सेंध लग चुकी है।
इसके बाद हैकिंग से बचाने के नाम पर पीड़ितों से नकदी निकलवाई जाती, सोना खरीदवाया जाता। यहां तक कि बिटकॉइन एटीएम का प्रयोग करने, गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए बहकाया जाता। इनके झांसे में आकर कई पीड़ित आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए।
सैयद को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे मुकदमे की सुनवाई तक हिरासत में रखा गया है। दोषी पाए जाने पर दोनों आरोपों में उसे 20 साल तक की जेल और 250,000 डॉलर का जुर्माना हो सकता है।
इस घोटाले का खुलासा करने के लिए एरिजोना, इलिनोइस, विस्कॉन्सिन, टेक्सास और इंडियाना सहित कई राज्यों के एफबीआई और स्थानीय एजेंसियों ने मिलकर काम किया था।
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