भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने 7 जनवरी को बताया कि उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से बात की। उनकी बातचीत बांग्लादेश की इस प्रतिबद्धता पर केंद्रित थी कि वो हिंदुओं समेत धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसा और उत्पीड़न से बचाएगा। साथ ही धर्मों के बीच आपसी सद्भाव और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा।
खन्ना ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक बयान में इस बातचीत को लंबी और उपयोगी बताया। इसके साथ ही उन्होंने यूनुस के इस आश्वासन का जिक्र किया कि बांग्लादेश अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। खन्ना ने एक्स पर लिखा, 'उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि बांग्लादेश हिंदुओं और सभी धर्मों के लोगों को हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएगा।'
खन्ना ने कहा कि ढाका स्थित थिंक टैंक, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाला यूनुस सेंटर ने पत्रकारों को देश का दौरा करने का न्योता दिया है। यह ज्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर बढ़ने का संकेत है। उन्होंने आगे अमेरिका-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करने के अपने समर्पण पर जोर दिया।
खन्ना के यूनुस से संपर्क साधने की यह प्रक्रिया ऐसे समय पर हुआ है जब बांग्लादेश अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना कर रहा है। नवंबर 2024 में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने चिंताओं को और बढ़ा दिया है। हिंदू अधिकारों के मुखर समर्थक दास को राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था, जिससे विरोध प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई। उनकी गिरफ्तारी मंदिरों, घरों और व्यवसायों पर हमलों सहित हिंदू समुदायों को निशाना बनाने वाली हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला के बाद हुई। तमाम हिंसक वारदात पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद तेज गति से सामने आई।
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर इन मुद्दों को हल करने का दबाव बढ़ रहा है। दावा किया जा रहा है कि हिंसा पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। लेकिन आलोचक तर्क देते हैं कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सांप्रदायिक सौहार्द बहाल करने के लिए और अधिक कड़े कदमों की आवश्यकता है।
जैसे-जैसे बांग्लादेश की स्थिति बदल रही है, खन्ना के प्रयास मानवाधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय स्थिरता के साझा मूल्यों पर आधारित मजबूत अमेरिका-बांग्लादेश संबंधों की संभावना को उजागर करते हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login