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बार्टर वाटर : जल उपलब्धता में एक स्थायी क्रांति, बिहार में अनूठी शुरुआत

इस अभूतपूर्व वस्तु विनिमय आधारित जल अर्थव्यवस्था का उद्घाटन 16 फरवरी, 2025 को बिहार के आरा जिले के पकरी गांव में पहली वाटरबैंक इकाई के साथ किया गया। यह पहल ग्रामीण समुदायों को जल पहुंच के लिए एक स्थायी और समुदाय संचालित मॉडल पेश करती है।

व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन और विन फाउंडेशन ने वाटरबैंक फाउंडेशन के साथ मिलकर भारत में बार्टरवाटर पहल शुरू की है। / wheelsglobal.org

जल संकट से निपटने की दिशा में एक अग्रणी कदम के रूप में वाटरबैंक फाउंडेशन ने व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन (पैन आईआईटी समुदाय का ग्लोबल गिविंग बैक प्लेटफॉर्म) की साझेदारी में बिहार के आरा जिले में बार्टरवाटर पहल शुरू की है। इस अभूतपूर्व वस्तु विनिमय आधारित जल अर्थव्यवस्था का उद्घाटन 16 फरवरी, 2025 को पकरी गांव में पहली वाटरबैंक इकाई के साथ किया गया। यह पहल ग्रामीण समुदायों को जल पहुंच के लिए एक स्थायी और समुदाय संचालित मॉडल पेश करती है। 

बार्टरवाटर पहल एक अभिनव प्रोत्साहन प्रणाली पर आधारित है जो रेनबो क्रेडिट के साथ सामु दायिक कार्रवाई में प्रयासों को पुरस्कृत करती है। इन क्रेडिट को ओएएस स्प्रिंग इकाइयों से स्वच्छ पेयजल के लिए भुनाया जा सकता है या आवश्यक प्रकृति-आधारित वस्तुओं और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान किया जा सकता है। इससे जमीनी स्तर पर एक जिम्मेदार जल उपयोग संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। 

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पहल के तहत जल स्रोतों में आर्सेनिक प्रदूषण से निपटने के लिए आईआईटी-खड़गपुर के शोध की सहायता ली जा रही है। आर्सेनिक ने उत्तर भारत के कम से कम आठ राज्यों में समुदायों के स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डाला है। जहां समुदायों के पास किफायती और आसानी से उपलब्ध समाधानों का अभाव है वहां लोग उच्च कैंसर दर से पीड़ित हैं। व्हील्स और इसकी सहयोगी संस्था विन फाउंडेशन ने दो साल पहले इस अभिनव तकनीक के पायलट के साथ-साथ समान रूप से परिवर्तनकारी व्यवसाय मॉडल का समर्थन करने के लिए हाथ मिलाया था।

यह मिशन संयुक्त राष्ट्र के दशक के कार्य एजेंडा (2018-2028) के अनुरूप है और सतत विकास लक्ष्यों (SDG 2030) की प्राप्ति का समर्थन करता है। स्वच्छ जल तक पहुंच को पर्यावरण के प्रति जागरूक आर्थिक प्रणाली के साथ एकीकृत करके यह पहल पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाती है।

इस पहल की तकनीकी रीढ़ में कई प्रमुख 'खिलाड़ियों' ने योगदान दिया है। इससे बार्टरवाटर मिशन की सफलता और मापनीयता सुनिश्चित हुई है। सौर-विद्युत ऊर्जा उत्पादन की अग्रणी कंपनी हस्क पावर सिस्टम्स ने OAS स्प्रिंग और डिजिटएपीपी (TAP@APP) तकनीक को सक्रिय करने के लिए सौर-संचालित स्वचालन को सक्षम करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर ने स्वच्छ जल तक पहुंच के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करते हुए अभिनव OAS जल शोधन तकनीक विकसित की है। साकेत कुमार (IIT-खड़गपुर के पूर्व छात्र और WHEELS परिवार के सदस्य) द्वारा स्थापित, VAS ब्रदर्स एंटरप्राइजेज इस तकनीक के व्यावसायीकरण का नेतृत्व कर रहा है, जिससे इसे व्यापक कार्यान्वयन के लिए सुलभ बनाया जा सके।

इस पहल की क्षमता को पहचानते हुए भारत के नीति आयोग ने आधिकारिक तौर पर इस मिशन का समर्थन किया है जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़ी है और व्यापक नीति समर्थन के लिए रास्ते खुले हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (NIAS), बैंगलोर के माध्यम से प्रभाव आकलन कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना बड़े पैमाने पर ठोस लाभ प्रदान करे।

इस पहल को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से भी अच्छा समर्थन हासिल हुआ है। इससे इसका प्रभाव और भी मजबूत हुआ है। भारत सरकार का राष्ट्रीय बांस मिशन वाटरबैंक के विस्तार में सहायता के लिए बांस आधारित बुनियादी ढांचे के उपयोग को सक्रिय रूप से सुविधाजनक बना रहा है।

इस पहल के पायलट चरण को यूनिसेफ से भी समर्थन मिला है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने जल-मिशन पहल के तहत OAS प्रौद्योगिकी विकास को वित्तपोषित करके मिशन को और मजबूत किया है।

व्हील्स अपने पैन IIT पूर्व छात्र नेटवर्क का लाभ उठाता है। इसमें कॉर्पोरेट नेता, CSR एसोसिएशन, प्रशासनिक अधिकारी, एनजीओ भागीदार और विभिन्न पेशेवर शामिल हैं ताकि तेजी से विस्तार किया जा सके, जागरूकता पैदा की जा सके और पहल का समर्थन किया जा सके।

इन कार्यक्रमों को लागू करके हमारा लक्ष्य 2030 तक भारत की 20% 'रूर्बन' (ग्राणीण और शहरी) आबादी (यानी 180 मिलियन से अधिक लोग) के प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन के साझा उद्देश्यों को प्राप्त करना है, जो 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।

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