ADVERTISEMENTs

2043 तक भारत और दक्षिण एशिया में हवाई जहाजों का बेड़ा होगा चार गुना: बोइंग

बोइंग ने उम्मीद जताई है कि भारतीय और दक्षिण एशियाई एयरलाइंस अगले 20 वर्षों में अपने बेड़े में 2835 वाणिज्यिक विमानों को शामिल करेंगी।

बोइंग / REUTERS

बोइंग ने गुरुवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि भारतीय और दक्षिण एशियाई एयरलाइंस अगले 20 वर्षों में अपने बेड़े में 2835 वाणिज्यिक विमानों को शामिल करेंगी। यह मौजूदा स्तर की तुलना में चार गुना वृद्धि होगी, जिसे बढ़ते मध्यम वर्ग और मजबूत आर्थिक विकास के कारण हवाई यात्रा की बढ़ती मांग से प्रोत्साहन मिलेगा। अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग की पिछले वर्ष जारी 20-वर्षीय बाजार पूर्वानुमान रिपोर्ट में 2,705 विमानों की मांग का अनुमान लगाया गया था, जो अब बढ़कर 2,835 हो गया है।

बढ़ती हवाई यात्रा और ईंधन-कुशल विमानों की मांग
बोइंग के भारत और दक्षिण एशिया के लिए वाणिज्यिक विपणन निदेशक अश्विन नायडू ने कहा, "लोगों को हवाई यात्रा की अधिक पहुंच मिलेगी और क्षेत्र की एयरलाइंस को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एक आधुनिक और ईंधन-कुशल बेड़े की आवश्यकता होगी।"

बोइंग की इस महत्वपूर्ण पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले वर्षों में भारतीय और दक्षिण एशियाई एयरलाइंस 2,445 सिंगल-आइज़ल विमानों की डिलीवरी लेंगी, जो कुल डिलीवरी का लगभग 90% हिस्सा होगा। इसके अलावा, वाइड-बॉडी विमान बेड़े का आकार भी चौगुना हो जाएगा, क्योंकि इस अवधि में 370 नए वाइड-बॉडी विमान जोड़े जाएंगे। कंपनी को उम्मीद है कि इस क्षेत्र का हवाई यातायात 2043 तक हर साल 7% से अधिक की दर से बढ़ेगा।

भारत: विश्व की तीसरी सबसे बड़ी घरेलू विमानन बाजार
भारत वर्तमान में अमेरिका और चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार भी है। इंडिगो और एयर इंडिया देश की शीर्ष दो एयरलाइंस हैं। यूके स्थित सिरीअम एसेन्ड (Cirium Ascend) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय एयरलाइंस ने वैश्विक विमान निर्माताओं के साथ लगभग 1,800 विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है और इस वर्ष 130 नए जेट की डिलीवरी होने की संभावना है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर एयरलाइंस को समय पर विमान प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियों के उत्पादन पर आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी समस्याओं का दबाव बना हुआ है।

विमानन उद्योग की चुनौतियां
बोइंग की 2024 में डिलीवरी महामारी के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जिसका एक कारण हड़ताल भी थी। हालांकि, कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि वह विमान उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर रही है। दूसरी ओर, एयरबस भी 2024 के अपने लक्ष्य से थोड़ा पीछे रह गई।

बोइंग ने यह भी कहा कि भारतीय विमानन उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें मुद्रा से जुड़ी अस्थिरता, जेट ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वैश्विक औसत से कम हवाई किराए और विदेशी एयरलाइंस की तुलना में लंबी दूरी के बाजार में असंतुलन शामिल हैं।

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related