33वां सालाना सिलिकॉन वैली यहूदी फिल्म फेस्टिवल सफलतापूर्वक समापन हुआ। फिल्म फेस्टिवल में थिएटर और ऑनलाइन स्क्रीनिंग हुई जिसमें रेकॉर्ड दर्शकों ने यहूदी अनुभवों को जाना, समझा और उनसे जुड़े। फेस्टिवल का आखिरी शो था डॉक्युमेंट्री 'कॉल मी डांसर'। यह येहुदा मावर की जिंदगी की कहानी बताता है। येहुदा मावर एक इजराइली-अमेरिकी बैले टीचर हैं। उन्होंने अपनी नौकरी खोने के बाद मुंबई के स्ट्रीट डांसर मनीष चौहान को बैले सिखाकर अपनी जिंदगी का नया मकसद ढूंढा था। फिल्म के हीरो मनीष चौहान और डायरेक्टर लेस्ली शैम्पेन ने मिलकर एक प्रश्नोत्तरी सत्र में हिस्सा लिया। इसकी अध्यक्षता डांसर और 'मिलियन बाय वन मिलियन' की फाउंडर श्रमाना मित्रा ने की।
मनीष की कहानी ने दर्शकों को बांध कर रखा। ये कहानी मनीष के मुंबई से हिमाचल प्रदेश के उनके गांव, मुंबई के डांस स्कूल से इजराइल, न्यू यॉर्क और आखिरकार वॉशिंगटन डी.सी. के केनेडी सेंटर में होने वाले शो तक के सफर को दिखाती है। दर्शक अपनी सीटों पर चिपके हुए मनीष की कहानी देख रहे थे। जब मनीष ने कहा, 'मैंने स्कूल छोड़ दिया और बिना अपने मां-पिताजी को बताए अपनी स्कूल फीस डांस स्कूल को दे दी।' तब दर्शकों के मुंह से 'ओह माय!' निकल गया। जब मनीष की दादी ने उनसे कहा कि अपने सपनों को पूरा करें, और वो उनके पिता से बात करेंगी। इस पर एक बुजुर्ग औरत जो दर्शकों के बीच बैठी थी, उन्होंने मनीष की बात सुनकर हैरानी से कहा, 'अरे! क्या बात है?'
हर मां-पिता का भरोसा अपने बेटों पर होता है। उनके सपने, चाहे वो किसी भी संस्कृति या धर्म के हों, एक ही होते हैं। मनीष की मां-बाप की आशाएं, उम्मीदें और मुश्किलें ज्यूइश दर्शकों के दिलों को छू गईं। जब भी मनीष के मां-पिता स्क्रीन पर आते, दर्शक खुशी से झूम उठते थे। मनीष की लगन को दर्शकों में मौजूद मां-बाप ने सराहा।
येहुदा के भारत के बारे में विचार भी दर्शकों को पसंद आए। जब वो गर्मी से परेशान थी और सड़क पार करने से डर गई, तो दर्शक हंस पड़े। मनीष को प्रेरित करने के लिए येहुदा ने जो स्टार्बक्स कॉफी का लालच दिया, उसे जानकर दर्शक हंस पड़े। उन दर्शकों के बच्चे भी मनीष की उम्र के ही थे।
33 वें सालाना सिलिकॉन वैली यहूदी फिल्म महोत्सव में रात के खाने का आनंद लेते लोग। /फिल्म की डायरेक्टर ने भारत को उसकी वास्तविक रोशनी में दिखाया है, और चौंकाने वाली तस्वीरों से दर्शकों को रोमांचित करने की कोशिश नहीं की है। कैमरे का फोकस मुंबई के आकाशगंगा पर है। कैमरामैन ने पांच वर्षों में मनीष की भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से कैद किया है। जब मनीष अपनी दादी से अपने दिल की सुनने की बात सुनता है तो उसके आंखों में हैरानी होती है। जब येहुदा उसे बताता है कि वो कभी भी क्लासिकल डांस कंपनी में शामिल नहीं हो पाएगा तो उसकी आंखों में चमक कम हो जाती है। जब वो पहली बार इजराइली डांसर्स को देखता है तो उसके चेहरे पर उत्साह नजर आता है, ये सब खूबसूरती से कैद किया गया है।
जल्द ही मनीष की सफलता उनके लिए भी सफलता बन गई। जब स्क्रीन पर मनीष को न्यू यॉर्क की डांस कंपनी का सदस्य दिखाया गया, तो दर्शक तालियां बजाने लगे। फिल्म के बाद हुए रिसेप्शन में मनीष से दर्शकों ने उसके जीवन के 'क्यों' और 'क्या होता' के बारे में सवाल किए। दर्शकों ने स्वादिष्ट खाने का लुत्फ उठाया। चॉकलेट बाबका और फ्रूट सलाद सबको पसंद आए। एक दर्शक ने कहा, 'मुझे फिल्म बहुत पसंद आई। यह फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली दूसरी फिल्मों से बहुत अलग थी।'
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