भारत के कन्फेक्शनरी, बेबी फूड और डेयरी सेक्टर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, Cargill ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक नया कॉर्न मिलिंग प्लांट शुरू किया है। ये प्लांट भारतीय निर्माता सात्विक एग्रो प्रोसेसर्स ने लगाया है। Cargill और सात्विक एग्रो प्रोसेसर्स के बीच हुए व्यावसायिक समझौते के तहत बना यह प्लांट, कन्फेक्शनरी, बेबी फूड और डेयरी उद्योगों की जरूरत के लिए स्टार्च डेरिवेटिव्स का उत्पादन करेगा।
कन्फेक्शनरी, बेबी फूड और डेयरी सेक्टर की कुल मार्केट वैल्यू 15 अरब डॉलर है। अगले पांच सालों में इन सेक्टर्स में 6 से 11 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ होने की उम्मीद है। इससे स्टार्च डेरिवेटिव्स की मांग में भी तेजी आएगी। ये डेरिवेटिव्स गमीज, जेलीज, फिलिंग्स, दही, पनीर, प्रोसेस्ड दूध और बेबी फूड जैसे उत्पादों में उनकी बनावट, गाढ़ापन और टेक्सचर को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
इस प्लांट की शुरुआती क्षमता 500 टन प्रतिदिन है, जिसे बढ़ाकर 1000 टन प्रतिदिन किया जा सकता है। इससे Cargill को अपनी वैश्विक उत्पादन क्षमता, कस्टमर नेटवर्क और मार्केट एक्सेस, साथ ही भारतीय पार्टनर के स्थानीय उत्पादन कौशल और अनुभव का फायदा मिलेगा। इससे भारत में सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद लगातार मिलते रहेंगे।
यह प्लांट पूरी तरह से Cargill के लिए काम करेगा और Cargill के वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का पालन करेगा। इससे न सिर्फ Cargill की भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सप्लाई चेन भी बेहतर होगी, जिससे खाद्य निर्माता बढ़ती उपभोक्ता मांग को आसानी से पूरा कर सकेंगे। इस विस्तार से Cargill उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के ग्राहकों को बेहतर ढंग से सेवा दे पाएगा। दक्षिण से आने वाले माल पर निर्भरता कम होगी जिससे लागत और लॉजिस्टिक्स दोनों में बेहतरी आएगी।
हालांकि यह प्लांट मुख्य रूप से घरेलू मांग को पूरा करेगा, लेकिन भविष्य में Cargill इस प्लांट के जरिए अपने बाजार को और बढ़ाने के लिए निर्यात के अवसरों का भी आकलन करेगा। इस प्लांट का उद्घाटन Cargill के ग्रुप प्रेसिडेंट, फूड APAC, जॉन फेरिंग और Cargill इंडिया के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर फूड साउथ एशिया, साइमन जॉर्ज ने किया।
इस मौके पर साइमन जॉर्ज ने कहा, 'ग्वालियर का यह प्लांट हमें भारत में अपने विनिर्माण नेटवर्क को मजबूत करने और उत्तर और पश्चिम भारत के ग्राहकों को और अधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर सेवा देने में मदद करेगा। साथ ही आपूर्ति श्रृंखला में दक्षता बढ़ाएगा जिससे पूरे फूड इकोसिस्टम को फायदा होगा। स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाकर, हम आपूर्ति समय को कम कर रहे हैं, लागत प्रभावशीलता बढ़ा रहे हैं और आवश्यक खाद्य समाधानों की अधिक स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं जिसकी खाद्य निर्माताओं को बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यकता है।'
साथ ही उन्होंने कहा, 'यह कदम हमारी वैश्विक विशेषज्ञता को भारत की मजबूत विनिर्माण क्षमताओं के साथ जोड़कर उद्योग के विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।इससे भारतीय उद्यमियों का विकास होगा और अंततः ग्राहकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अधिक मूल्य सृजन होगा।'
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