अमेरिका में प्रस्तावित एक नए विधेयक SB 509 को लेकर हिंदू और भारतीय अमेरिकी समुदायों में गहरी चिंता जताई गई है। इस विधेयक का उद्देश्य विदेशी सरकारों या उनके एजेंटों द्वारा अमेरिका में बसे व्यक्तियों या समुदायों पर किए जा रहे उत्पीड़न को रोकना है, लेकिन इसके दायरे और भाषा को लेकर अल्पसंख्यक समुदायों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है।
अमेरिकन्स फॉर हिंदूस (A4H) नामक नागरिक अधिकार समूह ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा है कि इसकी अस्पष्ट भाषा और पारदर्शिता की कमी के कारण अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं और भारतीय अमेरिकियों को अनुचित रूप से निशाना बनाया जा सकता है।
बिल को कैलिफ़ोर्निया की सीनेटर अन्ना कैबलेरो ने पेश किया है। इसके तहत ओफिस ऑफ इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा एक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाएगा, ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ट्रांसनेशनल रेप्रेशन की घटनाओं को पहचान सकें। इनमें धमकी, निगरानी, ऑनलाइन उत्पीड़न और शारीरिक हिंसा जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
हालांकि, A4H का कहना है कि बिल में स्पष्ट निर्देशों की कमी है जिससे यह भ्रम और डर की स्थिति पैदा करेगा। संगठन ने चेताया कि यह पहले से ही बोझ तले दबे पुलिस बल को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपेगा, जबकि यह स्पष्ट नहीं है कि वे किन व्यक्तियों या संगठनों को इस कानून के अंतर्गत पहचानें।
यह भी पढ़ें- टेक्सास में थिरुक्कुरल का पाठ, तमिल संस्कृति का सुंदर संगम
A4H की उपाध्यक्ष गीता सिकंद ने समिति के सामने गवाही देते हुए कहा, “1984 में मेरे चाचा की हत्या उन लोगों ने की थी, जो इस बिल की विचारधारा से प्रेरित माने जा सकते हैं। यह बताता है कि इस प्रकार की ट्रेनिंग का गलत प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब यह हिंदू समुदाय जैसे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए।” A4H ने यह भी सवाल उठाया कि प्रशिक्षण किस संस्था से कराया जाएगा। संगठन का मानना है कि यदि प्रशिक्षक पक्षपाती हुए तो इससे हिंदू समुदाय को गलत तरीके से राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा सकता है।
वहीं, Hindu American Foundation (HAF) ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बिल का विरोध करते हुए कहा, “SB 509 जैसे विधेयक भारतीय अमेरिकियों को उस समय डिजिटल ट्रांसनेशनल रेप्रेसर करार दे सकते हैं, जब वे हिंसक खालिस्तानी आंदोलन का विरोध करते हैं।” A4H का मानना है कि यह बिल न केवल विद्यमान संघीय कानूनों जैसे Foreign Agents Registration Act (FARA) को दोहराता है, बल्कि इससे नए निगरानी तंत्र पर भारी खर्च होगा, जबकि ऐसा ढांचा पहले से मौजूद है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login