भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा और उनके मानवाधिकारो के उल्लंघन का विरोध करते हुए अमेरिकी सरकार से तुरंत दखल देने की मांग की।
यूएस कैपिटल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री थानेदार ने विदेश मंत्रालय व वित्त मंत्रालय से बांग्लादेश पर पाबंदियां लगाने, अमेरिकी कांग्रेस में विशेष सुनवाई करने और बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों को अस्थायी तौर पर संरक्षित दर्जा देने की अपील की।
बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों पर हिंसक हमलों का जिक्र करते हुए थानेदार ने अमेरिकी सरकार से तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण अकल्पनीय हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। यह सब देखकर हम चुप नहीं बैठ सकते।
भारतवंशी सांसद ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, जलाया गया, अपवित्र किया गया, धर्मगुरुओं को संदिग्ध आरोपों में गिरफ्तार किया गया। इतिहास हमें हमारे शब्दों से नहीं बल्कि हमारे कार्यों की वजह से याद रखेगा। आइए हम इन बेकसूरों की रक्षा के लिए तुरंत निर्णायक कदम उठाएं।
थानेदार ने बांग्लादेश के हिंसक इतिहास का जिक्र करते हुए मुख्य कर्ताधर्ता मुहम्मद यूनुस की सरकार से शांति और समानता बहाल करने के अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल अन्य कई वक्ताओं ने भी थानेदार का समर्थन किया।
आर्ट्स4ऑल फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. सुमिता सेनगुप्ता ने कहा कि हमें हिंसा को जड़ से खत्म करके शांति कायम करने के लिए आगे आना चाहिए। इतिहास बताता है कि हिंसा से सिर्फ नफरत बढ़ती है। हमें नफरत को रोकना होगा और ऐसे समुदाय का निर्माण करना होगा जहां सभी लोग सुरक्षित रह सकें।
होलोकॉस्ट उत्तरजीवी सामी स्टीगमैन ने नफरत से निपटने में शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी त्रासदी, नरसंहार और प्रलय इसलिए हुए क्योंकि दुनिया चुप रहकर सिर्फ देखती रही और कुछ नहीं किया। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उससे निपटने में अमेरिका को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
बंगाली-अमेरिकी इतिहासकार डॉ. साची दस्तीदार ने कहा कि 1947 के बाद से 50 मिलियन से अधिक हिंदू विस्थापित हुए हैं और लाखों मारे गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को न केवल हिंसा रोकने की दिशा में कार्य करना चाहिए बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शरणार्थी अपने देश लौट सकें और अपने अधिकार हासिल कर सकें।
हिंदूएक्शन के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित क्षेत्र स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाए और हिंदुओं, बौद्धों व ईसाइयों की सुरक्षा तथा स्वायत्तता का मार्ग प्रशस्त करे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का समापन सामुदायिक नेता डॉ. सुस्मिता जस्ती की अपील से हुआ। उन्होंने कहा कि हिंसा को हिंसा से नहीं रोका जा सकता। शांति केवल आपसी समझ और करुणा से ही आ सकती है। पारुल कुमार ने अमेरिकियों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने का सुझाव दिया।
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