वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय प्रवासी समुदाय से आग्रह किया कि वे न सिर्फ सांस्कृतिक रिश्तों को बनाए रखें, बल्कि देश के तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में सक्रिय रूप से सहयोग और निवेश करें। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते आज महज औपचारिकता तक सीमित नहीं है। यह एक 'एक्शन-रिलेटेड रिलेशनशिप' है। इसमें भारतीय डायस्पोरा की अहम भूमिका है।
20 अप्रैल को सैन फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक सामुदायिक स्वागत समारोह में उन्होंने कहा, 'आप भारत के स्टार्टअप्स को मेंटर कर सकते हैं। जिन स्टार्टअप्स में आप निवेश करना चाहते हैं, उन्हें चुन सकते हैं। आप उन कई भारतीय व्यवसायों के व्यावसायिक साथी बन सकते हैं, जो आज बहुत अच्छा कर रहे हैं।' उन्होंने स्पष्ट किया कि 'यह कोई एहसान नहीं है जो आपको करना है।'
इस कार्यक्रम में भारतीय मूल के उद्यमी, स्थानीय अधिकारी और नीति विशेषज्ञ मौजूद थे। भारत के अमेरिकी राजदूत विनय क्वात्रा, वित्त सचिव अजय सेठ, फ्रेमोंट के मेयर राज सलवान और निर्मला सीतारमण के साथ वाशिंगटन डी.सी. में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक वसंत बैठक में जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कई सदस्य भी उपस्थित थे।
सीतारमण ने कहा कि भारत और इसके प्रवासी समुदाय के बीच रिश्ता अब सिर्फ भावनात्मक या सॉफ्ट पावर तक सीमित नहीं है। यह व्यापार और तकनीकी सहयोग का नेटवर्क बनाने के बारे में है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में भी स्थिरता ला सके।
उन्होंने कहा, 'आपने अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा, भारत की यादें नहीं खोईं और आप इसे केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों से ही नहीं, बल्कि कई तरीकों से जीवित रखे हुए हैं। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूं।' लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा, 'आप सिर्फ पुल बनने तक सीमित नहीं रहेंगे। प्रवासी समुदाय, अपनी वैश्विक सोच और सांस्कृतिक जड़ों के साथ, भारत को कुछ ठोस दे सकता है। यह मेंटरशिप, सहयोग और निवेश, जो दोनों पक्षों के लिए फायदे वाला है।
'एक्शन-रिलेटेड रिलेशनशिप'
सीतारमण ने इस बातचीत को भारत-अमेरिका रिश्तों के व्यापक संदर्भ में रखा, जिन्हें उन्होंने समग्र रणनीतिक साझेदारी बताया, जो कूटनीतिक शिष्टाचार से आगे है। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ शब्द या समझौते नहीं हैं, यह एक कार्रवाई से जुड़ा रिश्ता है और इसमें प्रवासी समुदाय की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।'
उन्होंने बताया कि पिछले दशक में भारत की साफ-सुथरी सरकार, पारदर्शिता और कारोबार में सहूलियत ने न केवल देश को अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था संभालने लायक बनाया है, बल्कि एक ऐसी ताकत भी बनाया है जो आज की अनिश्चित वैश्विक स्थिति को संभाल सकती है।
उन्होंने कहा, 'दुनिया भर में हर कोई सोच रहा है कि कल क्या होगा। अनिश्चितताएं हमेशा थीं, लेकिन इस स्तर, इस बार-बार और इस तीव्रता से नहीं।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया नीतिगत सुधारों ने देश को सुस्ती से बाहर निकाला है और इस अनिश्चित दौर के लिए तैयार किया है।
उन्होंने भारत सरकार की नई नीतियों की भी तारीफ की। जैसे सेमीकंडक्टर और सोलर पैनलों जैसे नए उद्योगों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन, पहली बार रोजगार देने वालों को सब्सिडी और नौकरी से जुड़े कौशल विकास कार्यक्रम। उन्होंने कहा कि यह एक स्थिर नीति माहौल का संकेत है और प्रवासी समुदाय का ध्यान आकर्षित करते हैं।
क्वात्रा ने आर्थिक ताकत पर जोर दिया
भारत के अमेरिकी राजदूत विनय क्वात्रा ने सभा को संबोधित करते हुए आभार और उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय सिर्फ एक जीवित पुल नहीं है, बल्कि भारत-अमेरिका रिश्तों में एक अहम और लगातार सहारा है। क्वात्रा ने कहा कि सरकार प्रवासी समुदाय को 'भारत के परिवर्तनकारी सफर' का साथी मानती है। जहां उनकी भूमिका पारंपरिक रेमिटेंस से आगे बढ़कर इनोवेशन, इन्वेस्टमेंट और पॉलिसी डॉयलॉग में सक्रिय हिस्सा बन गई है।
राज सालवान ने भारतीय पहचान पर बात की
स्थानीय नेताओं में फ्रेमोंट के मेयर राज सालवान भी मौजूद थे। सालवान ने फ्रेमोंट के भारतीय समुदाय से गहरे जुड़े होने की बात कही। जो सिर्फ व्यापार के जरिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी शहर का अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा, 'फ्रेमोंट अपनी विविधता पर गर्व करता है। यहां के भारतीय-अमेरिकी निवासी हमारे शहर की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।'
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