डोनाल्ड ट्रम्प ने अचानक पनामा नहर पर फिर से कब्जा करने की धमकी दी है। साथ ही ये भी कहा कि अमेरिका को ग्रीनलैंड पर अपना हक जमाना चाहिए। इन बयानों से साफ है कि आने वाले राष्ट्रपति कोई डिप्लोमैटिक रिवाजों में नहीं बंधे रहेंगे और विदेश नीति अपनी तरह से चलाएंगे। अगले साल 20 जनवरी को ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने की तैयारी के दौरान उनके सलाहकार उन्हें दो बड़े विदेश नीति संकटों से निपटने की तैयारी करा रहे हैं। ये हैं यूक्रेन में युद्ध और मध्य पूर्व के संघर्ष। ट्रम्प ने इन दोनों समस्याओं को जल्दी सुलझाने का वादा किया है।
22 दिसंबर को ट्रम्प पनामा और डेनमार्क जैसे अमेरिकी सहयोगियों को धमकाने में ज्यादा व्यस्त थे। ग्रीनलैंड डेनमार्क का विदेशी इलाका है। इससे पहले हफ्तों तक कनाडा को ट्रम्प की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। उन्होंने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कही थी। ट्रम्प के इस तरीके का बचाव करने वाले कहते हैं कि वो बस 'अमेरिका फर्स्ट' नीतियों के जबरदस्त समर्थक हैं। इसमें दोस्तों से पेश आते वक्त अमेरिका के हितों का सख्ती से बचाव करना और सहयोगियों को होने वाले नुकसान को लगभग नजरअंदाज करना शामिल है।
ट्रम्प के 2017-2021 कार्यकाल में उच्च पद पर रहीं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी विक्टोरिया कोट्स ने कहा, 'सोच ये है कि जो अमेरिका के लिए अच्छा है वो दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी अच्छा है। इसलिए वो किसी भी हालात में अमेरिका के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लेते हैं।' पनामा के मामले में ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका को इस अहम जलमार्ग पर फिर से अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहिए। क्योंकि पनामा जहाज मालिकों से अधिक पैसे वसूल रहा है। हालांकि पनामा के राष्ट्रपति ने इस आरोप का सख्ती से खंडन किया है।
एरिजोना में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा कि वो नहर को 'गलत हाथों' में नहीं जाने देंगे। उन्होंने इस जलमार्ग पर चीन के संभावित प्रभाव की चेतावनी दी। ट्रम्प के दो विदेश नीति सलाहकारों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ट्रम्प एक बड़े मुद्दे की बात कर रहे थे। उनका मानना है कि ये मुद्दा ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल का मुख्य केंद्र होगा। वो है- लैटिन अमेरिका में सरकारों और अर्थव्यवस्थाओं पर बढ़ता हुआ चीनी प्रभाव।
चीन नहर का नियंत्रण या प्रशासन नहीं करता, लेकिन हांगकांग स्थित सीके हुचिसन होल्डिंग्स की एक सहायक कंपनी लंबे समय से नहर के कैरिबियाई और प्रशांत प्रवेश द्वार पर स्थित दो बंदरगाहों का प्रबंधन करती रही है। ट्रम्प के सरकारी दक्षता आयोग के सह-अध्यक्ष विवेक रामस्वामी के सलाहकार ट्रिशिया मैकलॉघ्लिन ने कहा, 'यह सब प्रभाव और ताकत दिखाने के बारे में है। पनामा नहर का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता चीन है और वह लैटिन अमेरिका में उनके प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।' गौरतलब है कि टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क भी इस आयोग के सह-अध्यक्ष हैं।
ट्रम्प के आलोचक कहते हैं कि उनके इस तरीके से अहम सहयोगियों से रिश्ते बिगड़ सकते हैं। उनका कहना है कि सार्वजनिक तौर पर धमकाने से कुछ देश चीन और रूस जैसे प्रतिस्पर्धी बड़े देशों के करीब जा सकते हैं, या फिर अमेरिका के साथ आर्थिक या सुरक्षा संबंधी समझौते करने से हिचकिचा सकते हैं। पनामा सिटी के कंजरवेटिव मेयर मिजराची मटालोन ने 22 दिसंबर को एक कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने ट्रम्प का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' कैप भी पहना हुआ था। उन्होंने कहा, 'हम अमेरिका का 51वां राज्य नहीं हैं, और कभी नहीं बनेंगे।'
ट्रम्प के पहले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने कहा कि पनामा द्वारा नहर पार करने के लिए लिए जाने वाले शुल्क और ग्रीनलैंड के अमेरिका और नाटो के लिए रणनीतिक महत्व पर चर्चा होना जरूरी है। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ट्रम्प ने अपनी जबान न रोक पाने की वजह से इन चर्चा को खतरे में डाल दिया है।
अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प सहयोगियों, खासकर नाटो के यूरोपीय सदस्यों को डांटने या धमकाने से नहीं हिचकिचाते थे। ट्रम्प ने उन पर गठबंधन की सैन्य रक्षा पर बहुत कम खर्च करने का आरोप लगाया था। लेकिन पद संभालने से हफ्तों पहले ही कनाडा और पनामा जैसे भौगोलिक रूप से करीबी सहयोगियों को धमकी देना ये दर्शाता है कि वो अमेरिकी ताकत का इस्तेमाल अपनी मर्जी से करेंगे और अपने फायदे के लिए दूसरों से रियायतें हासिल करेंगे। व्हाइट हाउस ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ट्रम्प की ट्रांजिशन टीम ने भी कोई जवाब नहीं दिया।
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिए गए एक विचार को 22 दिसंबर को फिर से दोहराया कि, अमेरिका को ग्रीनलैंड खरीद लेना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक व्यापारिक मार्गों के खुलने से ग्रीनलैंड एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र बनता जा रहा है। तीन लोगों ने रॉयटर्स को बताया कि हाल के हफ्तों में ट्रम्प के करीबी कुछ अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से इस बात पर चर्चा की है कि डेनमार्क के इस क्षेत्र को हासिल कैसे किया जाए।
एक संभावित विकल्प यह है कि यदि द्वीप डेनमार्क से पूरी तरह स्वतंत्र हो जाता है, तो ग्रीनलैंड के साथ एक कॉम्पैक्ट ऑफ फ्री एसोसिएशन (COFA) पर हस्ताक्षर किए जाएं। कुछ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ग्रीनलैंड के लोग लंबे समय में आजादी चाहते हैं। COFA के तहत, अमेरिका और संबंधित विदेशी देश के बीच अत्यधिक आर्थिक एकीकरण होता है, हालांकि विदेशी देश स्वतंत्र रहता है। COFA वर्तमान में अमेरिका के तीन प्रशांत द्वीपीय राज्यों के साथ है।
ट्रम्प के दो सहयोगियों और ट्रांजिशन सलाहकारों ने कहा कि जब उन्होंने अपने 2017-2021 के कार्यकाल के दौरान पहली बार द्वीप को हासिल करने में रुचि दिखाई थी, तो डेनमार्क के अधिकारियों ने उन्हें खारिज कर दिया था। लेकिन उन्होंने इस विचार में कभी रुचि नहीं छोड़ी। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के हफ्तों में ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिकी राज्य बनाने के बारे में भी सोचा है। एक ऐसा विचार जिसका वास्तविकता में कोई आधार नहीं है।
हालांकि, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के सीनियर फेलो इलियट अब्राम्स ने कहा कि ट्रम्प के ट्रोलिंग के पीछे रणनीतिक सोच है। अब्राम्स ने बताया कि कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो देश में अलोकप्रिय हैं। उन्हें इस्तीफा देने के लिए लगातार आवाजें उठ रही हैं। ट्रम्प ने कनाडा से अमेरिका में प्रवासियों और ड्रग्स के प्रवाह को कम न करने पर कनाडाई आयात पर टैरिफ लगाने का वादा किया है।
अब्राम्स ने कहा, 'ट्रम्प, ट्रूडो पर दबाव बना रहे हैं। मुझे लगता है कि यह टैरिफ पर बातचीत का हिस्सा है। मुझे लगता है कि आप कुछ समय बाद मेक्सिको के साथ भी ऐसा ही देखेंगे।' रामस्वामी के सलाहकार मैकलॉघ्लिन ने इस बात से सहमति जताते हुए कहा, 'यह ट्रूडो के लिए एक संदेश है कि आप और कनाडा छोटे भाई हैं, उस हाथ को मत काटो जो आपको खिलाता है जब तक कि आपने टैरिफ में अपना उचित हिस्सा नहीं चुकाया है।'
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