रियो डी जनेरियो शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी समेत दुनियाभर के 20 दिग्गज नेताओं ने शिरकत की और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की। इसके अलावा नेताओं ने गाजा में इजरायली हमले का संकट झेल रहे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और युद्ध विराम पर चर्चा की। नेताओं का लक्ष्य अज़रबैजान में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में ग्लोबल वार्मिंग को संबोधित करने के लिए एक सफल समझौते की संभावनाओं को बढ़ाना था। एक दिन पहले अजरबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित COP29 समिट में दिल्ली की जहरीली हवा और उसके खतरनाक प्रभावों पर गंभीर चर्चा हुई। चर्चा के केंद्र में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पलूशन पर भी चिंता व्यक्त की गई। विशेषज्ञों ने इसे न केवल स्वास्थ्य संबंधी चिंता करार दिया, बल्कि आपाकाल जैसी स्थिति भी बताया।
दुनिया अपने सबसे गर्म साल की राह पर है, ऐसे में नेता जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पहले जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ब्राजील के रियो डी जनेरियो में शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र हुए जी20 नेताओं ने संयुक्त बयान में ग्लोबल वार्मिंग का जवाब देने के लिए "सभी स्रोतों से जलवायु वित्त को अरबों से खरबों तक तेजी से और पर्याप्त रूप से बढ़ाने" का आह्वान किया।
उन्होंने COP29 वार्ताकारों से एक नए वित्तीय लक्ष्य पर एक समझौते पर पहुंचने का भी आग्रह किया कि अमीर देशों को गरीब विकासशील देशों को जलवायु वित्त में कितना धन प्रदान करना चाहिए, जो जलवायु वार्ता में मुख्य बाधा बिंदु है। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टिल ने एक बयान में कहा, "जी20 नेताओं ने सीओपी29 में अपने वार्ताकारों को एक स्पष्ट संदेश भेजा है- एक सफल नए वित्त लक्ष्य के बिना बाकू को न छोड़ें। यह हर देश के स्पष्ट हित में है।"
शिखर सम्मेलन के प्रमुख वार्ताकार अजरबैजान के यालचिन रफियेव ने कहा कि जलवायु वार्ताकारों का लक्ष्य बुधवार शाम तक वित्तीय लक्ष्य के लिए एक समझौते का पूरा मसौदा तैयार करना है। राफियेव ने कहा, "हमने काम की गति बढ़ा दी है। परिणाम उतना ही अच्छा होगा, जितना समाधान बनाने में हमारी मदद करने के लिए देशों की प्रतिबद्धता।"
जी20 के बयान में कहा गया है कि देशों को वित्त पर गतिरोध को तोड़ने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने समाधान पर स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं दिया। कुछ ने जलवायु वित्त पर जी20 के बयान को कमजोर बताया। पर्यावरण थिंक टैंक, द कॉमन इनिशिएटिव के प्रमुख, लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ता ऑस्कर सोरिया ने कहा, "जी20 घोषणा की यह अस्पष्टता वार्ता में विश्वास को कम करने का जोखिम पैदा करती है, क्योंकि विकसित और विकासशील देशों के बीच विभाजन को पाटने के लिए जी20 का प्रभाव महत्वपूर्ण है।"
यूरोप सहित विकसित देशों का तर्क है कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अधिक देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों के लिए धन देने की आवश्यकता है, जिसमें चीन जैसे अमीर विकासशील देश और तेल समृद्ध मध्य पूर्वी राज्य शामिल हैं।
फोटोशूट में पहली पंक्ति पर मोदी, गायब रहे बाइडेन
रियो डी जेनेरियो में जी-20 समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के स्थान पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्राजील के प्रधानमंत्री लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा थे। फोटोशूट में पीएम मोदी वैश्विक नेताओं के साथ हंसी-मजाक और बातचीत करते दिखे। अमेरिकी अधिकारियों ने इसके लिए "लॉजिस्टिक मुद्दों" का हवाला दिया और कहा कि तस्वीर बहुत जल्दी ली गई थी, क्योंकि बाइडेन अभी भी कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ बैठक में थे।
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