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हेलेन : नायिका, खलनायिका और नृत्यांगना

हेलेन ने मणिपुरी नृत्य शैली में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और वह कथक भी जानती थीं इसलिए उनके नृत्य का दायरा दक्षिण से उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक था। इसलिए हर फिल्म के साथ उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।

हेलेन ने शक्ति सामंत की हावड़ा ब्रिज में 'मेरा नाम चिन चिंचू..' के साथ अपनी पहचान बनाई। / wikipedia.org

आ जाने जा...क्या आपको करीना कपूर खान अपनी फिल्म जाने जां में यह गाना गाते याद आ रही हैं? मूल रूप से फिल्म इंतकाम का यह गाना लता मंगेशकर ने गाया है, कैबरे में महारत हासिल करने वाली आशा भोंसले ने नहीं। लेकिन बेमेल बात यहीं नहीं रुकती। यह मोहक और शांत रूप से लुभाने वाला गीत एक पिंजरे में बंद काले रंग वाले आदमी पर फिल्माया गया है। और हेलेन भी काले लिबास में। चेहरे और पूरे बदन पर चमक लपेटे हुए। यदि इस गाने में हेलेन न होतीं तो यह कल्पना असहज करने वाले लगती है। मगर हेलेन का मतलब हर चीज शानदार। 

कहानी तब शुरू होती है जब इस नृत्यांगना-सुंदरी को हेलेन एन रिचर्डसन के नाम से जाना जाता था। हेलेन ने खुद स्वीकार किया कि उन्हें बॉलीवुड में कभी संघर्ष नहीं करना पड़ा। उनका संघर्ष भारत में आने से बहुत पहले ही शुरू हो गया था। एक एंग्लो-इंडियन पिता और बर्मी मां से जन्मी हेलेन और रिचर्डसन परिवार युद्ध शुरू होने से पहले बर्मा में अच्छा कर रहा था। मगर युद्ध में हेलेन के पिता रिचर्डसन की मृत्यु हो गई। रह गये चार बच्चे और उनकी असहाय मां। वह भी भयभीत। तब जीवित रहने का एकमात्र तरीका सीमा पार करके भारत नामक सुरक्षित आश्रय तक पहुंचना था। 

मगर बर्मा (वर्तमान म्यांमार) से असम तक का सफर आसान नहीं था। अपने छोटे भाई को खोने के बाद हेलेन ने जीवित रहने के लिए जो कुछ भी करना ही सीखा था। तब रिचर्डसन परिवार की एक पारिवारिक मित्र अभिनेत्री और नर्तक कुक्कू (एंग्लो-इंडियन) ने उन्हें फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर की भूमिका निभाने में मदद की। और जब आपमें प्रतिभा हो तो आप पर किसी का ध्यान न जाए ऐसा तो नहीं हो सकता। सात साल जरूर लगे मगर हेलेन ने शक्ति सामंत की हावड़ा ब्रिज में 'मेरा नाम चिन चिंचू..' के साथ अपनी पहचान बनाई। यह गाना आज तक अपने समय की शीर्ष कोरियोग्राफी में शुमार है। जब हावड़ा ब्रिज फिल्म रिलीज हुई तब हेलेन 19 साल की थीं।

हेलेन ने मणिपुरी नृत्य शैली में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और वह कथक भी जानती थीं इसलिए उनके नृत्य का दायरा दक्षिण से उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक था। इसलिए हर फिल्म के साथ उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। वह शायद एकमात्र ऐसी डांसर रही होंगी जो हम हिंदुस्तानी जैसी फिल्मों के साथ-साथ चाइना टाउन जैसी फिल्मों में भी सहजता से फिट हुईं, जिन्होंने डॉन में एक शालीन, सुसंस्कृत लड़की की भूमिका निभाई लेकिन शोले में खानाबदोष नजर आईं। 

हर बार उन्होंने अपने नृत्य से दिल जीता और दर्शकों को सिनेमाघरों तक लुभाकर लाने में अपनी भूमिका कुशलतापूर्वक निभाई। लेकिन अपनी लोकप्रियता के बावजूद वह एक नर्तकी और नायिका के बीच की दीवार नहीं तोड़ सकीं। इसके कई कारण रहे। सबसे लोकप्रिय धारणा यही रही है कि एक बार जब आप एक डांसर के रूप में स्थापित हो जाते हैं तो आपको वही मान लिया जाता है। जैसा कि 70 और 80 के दशक की अभिनेत्रियों को माना जाता था। उनकी फरिश्ते जैसी शक्ल और हिंदी भाषा में कठिनाई ने भी उनके मामले में मदद नहीं की। फिर भी हेलेन ने 15 से अधिक फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई! ऐसी ही एक फिल्म के सेट पर हेलेन की मुलाकात सलीम खान से हुई थी। फिल्म का नाम काबली खान था। 

एक लोकप्रिय पटकथा लेखक और सलमान खान के पिता सलीम इंडस्ट्री में एक चर्चित नाम थे। यह सभी जानते थे कि वह पहले से ही शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता थे। लंबे समय से वह मुख्य भूमिका पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और हेलेन इंडस्ट्री में नर्तकी से नायिका बनने की उम्मीद कर रही थीं। ऐसे में सलीम खान और हेलेन हमराह और फिर हमसफर हो गये।

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