ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी (UH) और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) ने पांच साल का एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) किया है। इसके तहत दोनों विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स और फैकल्टी को शोध और इंटर्नशिप के नए अवसर प्राप्त होंगे।
समझौते पर ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और प्रोवोस्ट डायने जेड चेस, क्यूलेन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रदीप शर्मा, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रतीक शर्मा और डीटीयू के डीन (इंटरनेशनल अफेयर्स) प्रवीर कुमार ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट रेणु खटोर, सिस्टम रीजेंट दुर्गा अग्रवाल और डीटीयू के कई प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
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इस समझौते का मुख्य उद्देश्य एकदूसरे के साथ मिलकर शोध, शैक्षणिक सहयोग और पेड इंटर्नशिप के जरिए शैक्षिक सहयोग को मजबूत बनाना है। इस साझेदारी से भारत और अमेरिका के बीच अकादमिक संबंध और गहरे होंगे।
ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की प्रोवोस्ट डायने चेस ने इस साझेदारी को दोनों विश्वविद्यालयों और कम्युनिटी के लिए फायदेमंद करार दिया। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से छात्रों और शिक्षक समुदाय को बेहतरीन अवसर प्राप्त होंगे। मुझे उम्मीद है कि डीटीयू के साथ लंबी और लाभकारी साझेदारी रहेगी।
इस समझौते के तहत छात्रों और शिक्षकों को विजिटिंग स्कॉलर के रूप में शोध करने और शोधपत्र, किताबें और थीसिस जैसे अकादमिक कार्य साझा करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों को पेड इंटर्नशिप और कोऑपरेटिव एजुकेशन प्लेसमेंट के जरिए व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त होगा।
ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी के डीन प्रदीप शर्मा ने कहा कि इस एमओयू से हमारे मास्टर्स प्रोग्राम के छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इनमें से कई छात्र अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए पीएचडी भी कर सकते हैं।
डीटीयू इससे पहले इलिनोइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी और नैनजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ पार्टनरशिप कर चुका है।
यह समझौता ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की भारतीय संस्थानों के साथ अकादमिक संबंध मजबूत बनाने की योजना का हिस्सा है। ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी ने इससे पहले भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और भारतीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ भी साझेदारी की है।
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