अमेरिका में निवेशक इस नए साल में होने वाले कई बड़े बदलावों के लिए कमर कस रहे हैं। टैरिफ (शुल्क), नियमों में ढील और टैक्स पॉलिसी में बदलाव जैसे फैसले बाजारों में हलचल मचा सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले डोनाल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाउस लौटने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले जैसी तेजी से आगे बढ़ पाएगी। वॉशिंगटन में सत्ता बदलने का शेयर बाजार, बॉन्ड और करेंसी पर बहुत असर पड़ेगा। निवेशकों को अपनी पूंजी लगाने के तरीके में बदलाव करने पड़ सकते हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि शेयर बाजार में फिर से तेजी आएगी, डॉलर आने वाले महीनों में मजबूत रहेगा और ट्रेजरी बॉन्ड ऊंची होगी।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था का दमदार प्रदर्शन
निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था अगले साल भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। जबरदस्त उपभोक्ता खर्च और मजबूत नौकरी बाजार की वजह से अमेरिका की ग्रोथ कई विकसित देशों से ज्यादा बेहतर रहेगी। अगर टैक्स में सुधार हुआ, खासकर कंपनियों के टैक्स में कमी आई, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। ये टैक्स में कटौती (जिसके लिए कांग्रेस की मंजूरी चाहिए) कंपनियों के मुनाफे और शेयर बाजार के माहौल को बेहतर बना सकती है।
दूसरी तरफ, यूरो जोन की अर्थव्यवस्था ने तीसरी तिमाही में उम्मीद से ज्यादा तरक्की की है। लेकिन ट्रम्प प्रशासन के भारी शुल्क, चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव और कम उपभोक्ता भरोसे की वजह से आने वाले समय में कमजोरी दिख सकती है। कार्सन ग्रुप में ग्लोबल मैक्रो स्ट्रेटेजीस्ट सोनू वर्गीज कहते हैं, 'हमें उम्मीद है कि 2025 में अमेरिका की ग्रोथ बाकी दुनिया से बेहतर रहेगी। इसमें मॉनेटरी और राजकोषीय नीतियों का अच्छा असर हो सकता है।'
फेड के फैसलों पर नजर
2025 में निवेशकों के लिए सबसे अहम सवाल ये है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेड) कितनी तेजी और कितनी गहराई तक ब्याज दरों में कटौती करेगा। फेड ने दिसंबर में ब्याज दरें घटा दीं, लगातार कई बार ब्याज दरें बढ़ाने के बाद अब लगातार कमी कर रहा है, लेकिन आगे कटौती की रफ्तार धीमी करने के संकेत दिए हैं। आसान मॉनेटरी पॉलिसी की उम्मीद से शेयर बाजार में तेजी आई है। लेकिन फेड की बैठक के बाद ट्रेजरी बॉन्ड में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे शेयर बाजार की तेजी पर असर पड़ सकता है।
डॉलर का दबदबा
इस साल डॉलर के विरोधियों को झटका लगा है। विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि डॉलर आगे भी मजबूत रहेगा। इस साल डॉलर की कीमत में 7 फीसदी की बढ़ोतरी के कई कारण हैं, जैसे अमेरिका में तगड़ी आर्थिक ग्रोथ और ट्रेजरी बॉन्ड में इजाफा। ये सभी कारण डॉलर को आगे भी सहारा देते रहेंगे। ट्रम्प के टैरिफ और संरक्षणवादी व्यापार नीतियां भी डॉलर को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।
महंगाई बढ़ने की आशंका भी फेड को ब्याज दरों में कमी जारी रखने से रोक सकती है, भले ही दूसरे केंद्रीय बैंक ब्याज दरें घटाते रहें। इससे डॉलर और मजबूत होगा। डॉलर की चाल का सही अनुमान लगाना निवेशकों के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि ग्लोबल फाइनैंस में डॉलर की अहम भूमिका है।
मजबूत डॉलर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है और दूसरे केंद्रीय बैंकों के लिए महंगाई से लड़ना मुश्किल बना सकता है, क्योंकि इससे उनकी मुद्राएं सस्ती हो जाएंगी।
पेमेंट कंपनी कॉर्पे के मुख्य बाजार रणनीतिकार कार्ल शैमोट्टा कहते हैं, 'डॉलर में फिर से जबरदस्त बढ़ोतरी से वैश्विक अर्थव्यवस्था में समस्या आ सकती है। ऐसे में अनिश्चितताओं के बीच और अमेरिका की अर्थव्यवस्था के बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीदों के चलते, डॉलर का और बेहतर प्रदर्शन करना मुश्किल हो सकता है।'
बाजार में उतार-चढ़ाव की आशंका
1 जनवरी को निवेशकों को पता चला कि बाजार में स्थिरता कितनी जल्दी उथल-पुथल में बदल सकती है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के उम्मीद से कम ब्याज दरों में कटौती करने के अनुमान की आशंका से अमेरिकी शेयरों में भारी गिरावट आई। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अगले साल भी सामान्य तौर पर शांत कारोबार रह सकता है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव का झटका आना बाकी है।
BofA ग्लोबल रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं है कि 2017 (ट्रम्प के पहले कार्यकाल की शुरुआत) के स्तर पर शेयर बाजार में इतनी कम उथल-पुथल फिर से देखने को मिलेगी। टैरिफ और केंद्रीय बैंकों के फैसलों के चलते विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो सकता है। न्यूबर्गर बर्मन में ग्लोबल फिक्स्ड इनकम और करेंसी मैनेजमेंट टीम के वरिष्ठ पोर्टफोलियो मैनेजर फ्रेड्रिक रेप्टन कहते हैं, 'वित्तीय बाजार में झटके का असर विदेशी मुद्रा बाजार पर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।'
क्रिप्टो का क्रेज बना रहेगा
विश्लेषकों का कहना है कि 2024 में बिटकॉइन और क्रिप्टो से जुड़े शेयरों में जो क्रेज देखने को मिला, वो कम होने वाला नहीं है। दिसंबर में बिटकॉइन की कीमत रेकॉर्ड ऊंचाई 100,000 अमेरिकी डॉलर से ऊपर पहुंच गई।निवेशकों को उम्मीद है कि ट्रम्प के आने से क्रिप्टोकरेंसी के लिए अनुकूल नियमों का माहौल बनेगा। इस कारण क्रिप्टो से जुड़े शेयरों में भी तेजी आई है। सॉफ्टवेयर कंपनी और बिटकॉइन जमा करने वाली माइक्रोस्ट्रैटेजी ने इस साल 400 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की है।
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