अमेरिका ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का स्वागत किया है। दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ा रहे हैं। ये बड़ी ताकतों के रिश्तों में एक बड़ा बदलाव है। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की एक नई रिपोर्ट से ये बात सामने आई है। 13 फरवरी को व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात से पहले CRS की रिपोर्ट दोनों सरकारों की साझा चिंताओं, खासकर चीन की बढ़ती दखलअंदाजी, को भी उजागर करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'अमेरिकी सरकार ने भारत की बढ़ती ताकत का स्वागत किया है। चार लगातार शासनों में द्विदलीय कांग्रेस के समर्थन के साथ भारत-अमेरिका की साझेदारी गहरी हुई है, जिससे वैश्विक परिस्थितियां बदल रही हैं।' CRS अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र रिसर्च आर्म है। यह सांसदों को जानकारी देने के लिए रिपोर्ट तैयार करती है। हालांकि यह आधिकारिक कांग्रेसी नीति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।
रिपोर्ट में भारत को दुनिया का सबसे अहम निर्णायक देश बताया गया है। जिसके रणनीतिक फैसले वैश्विक शक्ति संरचना को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, भारत ने ऐतिहासिक रूप से गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई है, लेकिन ट्रम्प और बाइडेन प्रशासनों ने भारत को अमेरिकी हिंद-प्रशांत रणनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।
2017 से इस रणनीति में Quad जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, केंद्रीय तत्व रहा है। रिपोर्ट में मोदी और ट्रम्प के बीच व्यक्तिगत संबंधों का उल्लेख है। यह सुझाव दिया गया है कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में व्यापार और इमिग्रेशन के साथ-साथ रक्षा सहयोग जारी रहेगा।
हालांकि, CRS की रिपोर्ट अनिश्चितताओं की ओर भी इशारा करती है। इनमें भारत के मानवाधिकार रेकॉर्ड पर संभावित अमेरिकी जांच, अंतरराष्ट्रीय दमन की चिंताएं और रूस के साथ संबंध शामिल हैं। इसके अलावा यह चेतावनी देता है कि भारत को अमेरिकी विदेशी सहायता में व्यवधान (जो काफी हद तक स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर केंद्रित है) द्विपक्षीय सहायता में व्यवधान पैदा कर सकता है।
जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद मोदी और ट्रम्प अपनी पहली आधिकारिक मुलाकात की तैयारी कर रहे हैं। दुनिया की ताकतों के बदलते समीकरणों में अमेरिका और भारत के रिश्ते का अहम रोल बना हुआ है।
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