भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर अहम बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ समय में दोनों देशों के संबंधों में कुछ सुधार आया है। उन्होंने सीमा विवाद का जिक्र करते हुए उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि जब तक सीमा पर शांति कायम नहीं होगी, संबंध पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकते।
जयशंकर ने चीन के साथ तनाव कम करने के हालिया समझौते के बारे में मंगलवार को लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि सतत कूटनीतिक साझेदारी के तहत संबंधों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। हम सीमा विवाद के निपटारे के लिए वार्ता जारी रखने को प्रतिबद्ध हैं। हम ऐसा समझौता चाहते हैं, जो दोनों देशों को स्वीकार्य हो।
उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता थी कि सीमा पर टकराव वाले बिंदुओं से सुरक्षा बल पीछे हटें। इसमें सफलता मिली है। आने वाले समय में हम सीमा पर तनाव को और घटाने तथात गतिविधियों के प्रभावी संचालन को लेकर बातचीत करेंगे। सीमा से सुरक्षा बलों के हटने से हम इस स्थिति में आ गए हैं कि द्विपक्षीय संपर्क के अन्य पहलुओं पर फोकस कर सकें।
जयशंकर ने साफ कहा कि साल 2020 में चीन की हरकतों की वजह से भारत से लगे इलाकों में शांति भंग हुई थी। उसी के बाद से संबंध सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। हमने हमेशा कहा है कि शांति बहाली से आगे के रिश्तों की नींव रखी जाएगी।
उन्होंने बताया कि चीन ने भारत के 38,000 वर्ग किलोमीटर (अक्साई चिन) इलाके पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसके अलावा पाकिस्तान ने वर्ष 1963 में 5180 वर्ग किलोमीटर इलाका चीन को अवैध तरीके से सौंप दिया था।
गौरतलब है कि पिछले अक्टूबर में दोनों देशों के बीच विवादित माने जाने वाले डेमचोक और देपसांग में गश्त फिर से शुरू करने और स्थानीय चरवाहों के पारंपरिक अधिकारों को बहाल करने पर सहमति बनी है।
जयशंकर ने बताया कि 2020 के बाद से अब तक 21 सैन्य वार्ताएं और 17 राजनयिक बैठकें हुई हैं। इनकी बदौलत सभी फ्रिक्शन पॉइंट्स पर डिसएंगेजमेंट पूरा हो सका है।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि इससे पहले लगातार तनाव, सीमावर्ती क्षेत्रों में खास घटनाक्रमों की वजह से चीन के साथ भारत के समग्र संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों और कोरोना महामारी जैसे हालात में भी चीन की फौजों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना की तारीफ भी की।
My statement in Lok Sabha regarding ‘recent developments in India’s relations with China’.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 3, 2024
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