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भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत, 2025-26 का GDP ग्रोथ रेट 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान

कमजोर विनिर्माण क्षेत्र और धीमी कॉर्पोरेट निवेश वृद्धि के कारण 2024-25 में भारत की विकास दर (GDP ग्रोथ रेट) 6.4% रहने का अनुमान है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते समय दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को संसद में पेश करेंगी। अनुमान है कि कमजोर विनिर्माण क्षेत्र और धीमी कॉर्पोरेट निवेश वृद्धि के कारण 2024-25 में भारत की विकास दर (GDP ग्रोथ रेट) घटकर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी होगी। सरकार की कोशिश सुस्त पड़ते आर्थिक विकास को रोकने और वैश्विक व्यापार के अनिश्चित वर्ष की तैयारी करने की कोशिश कर सकते हैं। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि उपभोग को मजबूत करने और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क कटौती जैसी नीतिगत बदलाव किए जा सकते हैं ताकि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके।

निजी निवेश वृद्धि 2024-25 में 6.4% तक रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष के 9% की तुलना में कम है। वहीं, उपभोग, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 58% है, के 7.3% सालाना बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष के 4% से अधिक है। बड़ी उपभोक्ता कंपनियों के तिमाही नतीजों के अनुसार, शहरी मध्यम वर्ग की डिस्क्रेशनरी (वैकल्पिक) खर्च करने की क्षमता कमजोर वेतन वृद्धि के कारण प्रभावित हुई है। हालांकि, 2024 में अच्छे मानसून के चलते ग्रामीण मांग में सुधार हुआ है। वैश्विक अस्थिरता के बीच विकास दर में मंदी ने हाल ही में आए शेयर बाजार में तेजी (रैली) को खत्म कर दिया है।

महंगाई
दिसंबर में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 5.2% हो गई, जो चार महीने का निचला स्तर है। इससे उम्मीद बढ़ी है कि देश का केंद्रीय बैंक फरवरी में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि, उपभोक्ता खर्च का लगभग 50% हिस्सा खाद्य वस्तुओं पर जाता है, और इसमें दिसंबर में महंगाई दर 8.39% बनी रही। सब्जियों की कीमतें 26.56% की चौंकाने वाली दर से बढ़ीं।

बेरोजगारी 
भारत की विशाल आबादी के बावजूद मोदी सरकार को पर्याप्त रोजगार सृजन न करने को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई। लेकिन निजी संस्था Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) का अनुमान है कि 2023-24 में बेरोजगारी दर 8.05% थी, जो पिछले वर्ष के 7.56% से अधिक है।

राजकोषीय घाटा
मोदी सरकार ने 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा 4.9% से नीचे रखने का लक्ष्य रखा है और अगले वित्तीय वर्ष में इसे 4.5% से कम करने की योजना बनाई है। महामारी के दौरान 2020-21 में यह घाटा 9.3% तक पहुंच गया था। 2026-27 से भारत राजकोषीय घाटे को प्राथमिकता देने की बजाय GDP-अनुपात में कर्ज को कम करने पर ध्यान देगा।
 

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