इस हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका लड़ाकू वाहनों की खरीद और साथ मिलकर उनके उत्पादन पर बातचीत कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो फाइटर जेट के इंजन के सौदे को भी फाइनल किया जा रहा है। मोदी बुधवार को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका आ रहे हैं।
हालांकि हथियार खरीद को लेकर भारत परंपरागत तौर पर रूस पर ही निर्भर रहा है। लेकिन पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने मोदी से कहा था कि वो ज्यादा अमेरिकी डिफेंस सामान खरीदें और एक फेयर ट्रेडिंग रिलेशनशिप की तरफ बढ़ें।
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जनरल डायनामिक्स द्वारा निर्मित स्ट्राइकर लड़ाकू वाहनों के सह-उत्पादन पर लंबे समय से बातचीत कर रहे हैं। इन्हें अमेरिकी सेना द्वारा भी उपयोग किया जाता है। दो सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि दोनों देश भारतीय वायुसेना के लिए फाइटर जेट के इंजन के साथ मिलकर उत्पादन के करार को भी फाइनल करने में लगे हैं। ये सौदा 2023 में तय हुआ था। सूत्रों ने मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं होने की वजह से नाम नहीं बताया।
रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'हम अमेरिका के साथ होने वाले इस लेन-देन को जरूर तेज करना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम चल रहा है। हालांकि उन्होंने इस बारे में और ज्यादा जानकारी नहीं दी।
सूत्रों के मुताबिक, भारत की पब्लिक सेक्टर की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अधिकारी आने वाले हफ्तों में अमेरिकी अधिकारियों और GE-414 इंजन बनाने वाली जनरल इलेक्ट्रिक की एयरोस्पेस यूनिट के साथ मार्च तक इस डील को फाइनल करने के लिए मुलाकात करेंगे। GE, HAL, जनरल डायनेमिक्स, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास और भारतीय रक्षा और विदेश मंत्रालय ने तुरंत इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
दो अन्य सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पिछले साल के अंत में भारतीय सेना को स्ट्राइकर लड़ाकू वाहनों का प्रदर्शन दिखाए जाने के बाद नई दिल्ली ने ट्रम्प प्रशासन के साथ इन वाहनों की खरीद के लिए बातचीत शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि योजना के मुताबिक भारत कुछ सौ लड़ाकू वाहन खरीदेगा और बाद में किसी सरकारी कंपनी के जरिए उनका सह-उत्पादन करेगा। इन लड़ाकू वाहनों में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम लगा होगा।
फिलहाल यह साफ नहीं है कि मोदी और ट्रम्प के बीच होने वाली बातचीत में ये दोनों संभावित सौदे शामिल होंगे या नहीं। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि व्यापार, रक्षा सहयोग और तकनीक उन मुद्दों में शामिल हैं जिन पर चर्चा होगी।
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