वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यदि तेल की कीमतें नए अमेरिकी टैरिफ के कारण और वैश्विक व्यवधानों के बावजूद 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहती हैं तो भारत 2025/26 वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) के लिए 6.3%-6.8% के अपने अनुमानित विकास लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाए जाने से शुरू हुआ व्यापार युद्ध वैश्विक बाजारों को हिला रहा है। इसी कारण सोमवार को एशिया के प्रमुख शेयर सूचकांकों में गिरावट आई है।
कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि ट्रम्प के टैरिफ चालू वित्तीय वर्ष में भारत की वृद्धि को 20-40 आधार अंकों तक धीमा कर सकते हैं और भारत के हीरा उद्योग जैसे क्षेत्रों को पंगु बना सकते हैं, जो अपने निर्यात का एक तिहाई से अधिक अमेरिका को भेजते हैं। इससे हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
हालांकि वित्त मंत्रालय के दूसरे अधिकारी ने कहा कि टैरिफ की घोषणाएं 2025/26 वर्ष के लिए भारत के प्रमुख राजकोषीय मापदंडों पर भारी नहीं पड़ेंगी। अधिकारी ने कहा कि भारत उच्च अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों की सहायता के लिए और अधिक उपाय करने के लिए तैयार है।
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अधिकारी ने कहा कि हमने निर्यातकों की मदद के लिए शुल्क छूट योजनाओं के लिए बजट में पहले ही प्रावधान कर दिए हैं और हम इससे भी ज्यादा करने के लिए तैयार हैं। दोनों अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बात की क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं थे। वहीं, भारत के वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए ईमेल किए गए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।
रॉयटर्स ने बताया है कि भारत एशियाई राष्ट्र से आयात पर ट्रम्प के 26% टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की योजना नहीं बना रहा क्योंकि देशों के बीच समझौते के लिए बातचीत आगे बढ़ रही है।
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