मौजूदा वित्त वर्ष में भारत का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.7% से 4.8% के बीच रह सकता है। ये सरकार के अनुमान (4.9%) से कम है। रिपोर्ट में बताया गया है कि खर्च में कमी और केंद्रिय बैंक से उम्मीद से ज्यादा डिविडेंड मिलने की वजह से फिस्कल डेफिसिट कम हो सकता है। ये जानकारी इस मामले से जुड़े दो लोगों ने दी है। फाइनेंस अखबार मिंट की रिपोर्ट के हवाले से सोमवार को ये जानकारी सामने आई है।
अखबार के एक सूत्र के मुताबिक, 2026 के वित्त वर्ष में बजट घाटे को सरकार के 4.5% के लक्ष्य के दायरे में रखने की योजना है। गौरतलब है कि 2023-24 के वित्त वर्ष में भारत का बजट घाटा जीडीपी का 5.6% था। भारत का वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है। भारत के वित्त मंत्रालय ने रायटर्स को बयान के लिए तुरंत कोई जवाब नहीं दिया।
नवंबर तक, सरकार का पूंजीगत व्यय (बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च) 5.13 लाख करोड़ रुपये ($59.41 बिलियन) रहा, जो सालाना लक्ष्य का 46.2% है। पिछले साल इसी अवधि में यह खर्च 5.86 लाख करोड़ रुपये था। देश में चुनावों की वजह से चालू वित्त वर्ष में खर्च धीमा रहा है और पूंजीगत व्यय के सालाना लक्ष्य से कम रहने की आशंका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक से 2.11 लाख करोड़ रुपये का अपेक्षा से कहीं ज्यादा डिविडेंड (जो पिछले मई में घोषित किया गया था और 2025 के वित्त वर्ष में दिखेगा) भी घाटे को कम करने में मदद करेगा। (1 अमेरिकी डॉलर = 86.3310 भारतीय रुपये)
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